Surah Ikhlas in Hindi

Surah Ikhlas in Hindi | अर्थ, महत्व और कुरआन के अनुसार अल्लाह कौन!

Surah Ikhlas in Hindi : इस्लाम धर्म एक पवित्र धर्म है, जिसकी चार आसमानी किताबें तौरेत, जबूर, इंजील व कुरआन (कुरान) हैं। मुस्लिम धर्म के लोग जिसे अपना अल्लाह मानते हैं। उस अल्लाह ने इन चारों पाक पुस्तकों में तौरेत का ज्ञान हजरत मूसा को, जबूर का हजरत दाऊद को, इंजील का हजरत ईसा (ईसा मसीह) को दिया। वहीं कुरआन का ज्ञान इस्लाम धर्म के अंतिम पैगंबर माने जाने वाले हजरत मुहम्मद को दिया था। 

मुस्लिम धर्मगुरु, प्रवक्ता, मौलवी सहित इस्लाम धर्म को मानने वाले सभी व्यक्ति कुरआन शरीफ के ज्ञान दाता को कादर अल्लाह मानकर उसकी इबादत (पूजा) करते हैं। साथ में यह भी कहते हैं कि कुरआन शरीफ (कुरआन मजीद) के सूरह अल-इख़लास 112 की आयत 1-4 में अल्लाह की पहचान दी गई है।  

तो आज के इस लेख में आप जानेंगे कि कुरआन के सूरह अल-इख़लास (Surah Ikhlas in Hindi) में कादर अल्लाह की क्या पहचान बताई गई है? अल-इख़लास के अनुसार वास्तव में अल्लाह कौन है? साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि मुस्लिम धर्मगुरु, प्रवक्ता तथा पूरा मुस्लिम समाज जिस कुरआन ज्ञान दाता को अपना अल्लाह मानता है, वह अल्लाह है भी या नहीं? इसके अलावा मुस्लिम धर्म प्रवक्ता डॉ. ज़ाकिर नायक, मुस्लिम भाई शादाब अहमद और संत रामपाल जी महाराज के विचार भी जानेंगे कि आखिर किसके दावे में कितनी सच्चाई है?

सूरह अल-इख़लास (Surah Ikhlas in Hindi) कौन-सा सूरा (सूरह) है?

इस्लाम धर्म की पाक पुस्तक कुरआन शरीफ (कुरान मजीद) में कुल 114 सूरह (सूरा/सूरत/सूर:) अर्थात अध्याय हैं। इनमें 86 मक्की (मक्का) सूरह और 28 मदीनी (मदीना) सूरह हैं। यानि जो सूरह हजरत मुहम्मद जी पर मुस्लिम धर्म के पवित्र स्थल मक्का में उतरी, उन्हें सूरह मक्की तथा जो मदीना में उतरी उन्हें मदीनी सूरह के नाम से जाना जाता है।

वहीं सूरह अल-इख़लास (Surah Ikhlas in Hindi), कुरआन मजीद का 112वां सूरह है, जिसमें कुल 4 आयतें हैं। इन चारों आयतों में अल्लाह की पहचान दी गई है, जिसकी विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें। 

अल-इख़लास (Surah Ikhlas in Hindi) पढ़ने से लाभ

किसी भी पाक पुस्तक ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, श्रीमद्भगवत गीता, कुरआन, तौरेत, जबूर, इंजील आदि को पढ़ने से पाठक को ज्ञान यज्ञ का फल मिलता है। इसी तरह कुरान शरीफ के अल-इख़लास सूरह (al ikhlas surah) को पढ़ने से अल्लाह की पहचान का पता चलता है कि अल्लाह के क्या लक्षण होते हैं।  

Surah Ikhlas in Hindi: अल्लाह के विषय में क्या बताता है?

कुरान शरीफ के सूरह अल-इख़लास 112 को सूरह मक्की भी कहा जाता है। क्योंकि मुस्लिम समाज मानता है कि यह सूरह हजरत मुहम्मद जी पर अल्लाह ने मक्का में उतारा था। बता दें, कुरान शरीफ सूरह अल-इख़लास 112 की आयत 1-4 में अल्लाह (परमात्मा) के विषय में कहा गया है:

112: 1 – कह दीजिये, “वह अल्लाह एक है, (قُلْ هُوَ ٱللَّهُ أَحَدٌ ١)

112: 2 – अल्लाह बेनियाज़ है, (ٱللَّهُ ٱلصَّمَدُ ٢)

112: 3 – ना उसने किसी को जना, और ना किसी और ने उसको जना, (لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ ٣)

112: 4 – और उसका कोई हमसर नहीं ”  (وَلَمْ يَكُن لَّهُۥ كُفُوًا أَحَدٌۢ ٤)

यह वह पहचान है जिसके माध्यम से हम अल्लाह को पहचान सकते हैं। जिसके आधार पर संत रामपाल जी महाराज ने बताया कि कुरआन के सूरह अल-इख़लास-112 की आयत 1-4 में दी गई अल्लाह की पहचान काशी में लगभग 626 वर्ष पूर्व सशरीर प्रकट होने वाले कबीर जी पर सटीक बैठती है, इसलिए कबीर जी ही अल्लाह हैं। 

वहीं इस बात पर आपत्ति करते हुए एक मुस्लिम भाई शादाब अहमद ने कहा कि अल-इख़लास (Surah ikhlas in Hindi) की आयत कबीर जी के लिए नहीं है क्योंकि कबीर जी अल्लाह नहीं हैं। तो सूरह अल-इख़लास की बुनियाद पर सच्चाई जानने के लिए मुस्लिम भाई शादाब अहमद, मुस्लिम धर्म प्रवक्ता डॉ. ज़ाकिर नायक और संत रामपाल जी महाराज के आध्यात्मिक विचार जानने के लिए पढ़ें।

Surah Ikhlas in Hindi के अनुसार अल्लाह कौन?

कुरआन शरीफ के सूरह अल-इख़लास (Surah Ikhlas in Hindi) 112 आयत 1-4 के आधार पर कबीर जी के विषय में मुस्लिम भाई शादाब अहमद बनाम संत रामपाल जी महाराज के पढ़िए विचार,

1. शादाब अहमद का कहना है कि सूरह अल-इख़लास 112 आयत 1 में कहा गया है कि अल्लाह एक है। जबकि कबीर जी एक नहीं थे। उनके जैसे अनेक कवि हुए हैं। इसलिए वे अल्लाह नहीं हैं।  

Surah Ikhlas in Hindi : जबकि संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि आज से लगभग 626 वर्ष पूर्व कबीर साहेब का सशरीर शिशु रूप में प्राकाट्य हुआ था। फिर 5 वर्ष की लीलामय आयु से ही कबीर परमेश्वर ने कवित्व के माध्यम से अपना तत्वज्ञान बताना प्रारंभ कर दिया था। जिसके कारण वे एक प्रसिद्ध कवि भी कहलाये। 

वहीं 120 वर्ष लीला करने के बाद कबीर परमेश्वर ने काशी के ब्राह्मणों का भ्रम तोड़ने के लिए सन् 1518 में हजारों, लाखों लोगों के सामने से मगहर से सशरीर सतलोक चले गए थे।  यानि कबीर जी का ना जन्म हुआ और ना मृत्यु हुई। जबकि सभी देवी-देवता, फ़रिश्ते (देवदूत), पैगंबर, मनुष्य आदि जन्मते और मरते हैं। 

जिसका प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 16-20, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 94 मंत्र 3 में है। जिसमें कहा गया है कि कविर्देव (कबीर परमेश्वर) जब शिशु रूप में सशरीर प्रकट होता है तो वह अपना तत्वज्ञान कवित्व के माध्यम से देता हुआ घूमता फिरता है इसलिए वह परमात्मा एक प्रसिद्ध कवि भी कहलाता है लेकिन वह होता है परमात्मा। 

इस विषय में अल्लाह कबीर जी ने बताया है:

नहीं बाप ना माता जाए, अविगत से हम चल आए। 

कल युग में काशी चल आए, जब हमरे तुम दर्शन पाए।।

कबीर सागर अध्याय “ज्ञान बोध” (बोध सागर) पृष्ठ 29

भग की राह हम नहीं आए, जन्म मरण में नहीं समाए। 

त्रिगुण पांच तत्व हमरे नांही, इच्छा रूपी देह हम आहीं।।

कबीर सागर अध्याय “ज्ञान बोध” (बोध सागर) पृष्ठ 36

2. शादाब अहमद का कहना है कि सूरह अल-इख़लास (Surah Ikhlas in Hindi) 112 की आयत 2 में कहा गया है कि अल्लाह बेनियाज है अर्थात अल्लाह किसी दूसरे पर आश्रित (निर्भर) नहीं होता। जबकि कबीर जी का एक मुस्लिम परिवार में जन्म हुआ और फिर उनकी मृत्यु भी हुई। साथ ही, उन्होंने ज्ञान प्राप्ति के लिए रामानंद जी को गुरु बनाया। इसलिए वे अल्लाह नहीं हो सकते।  

जबकि संत रामपाल जी महाराज जी बताते हैं कि विक्रमी संवत 1455, सन् 1398 ज्येष्ठ मास की पूर्णमासी को परमेश्वर कबीर जी सशरीर शिशु रूप में काशी के लहरतारा नामक तालाब में प्रकट हुए थे। जिसके प्रत्यक्ष दृष्टा स्वामी रामानंद के शिष्य ऋषि अष्टानन्द जी थे। 

जहां प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में नीरू नीमा नाम के दो जुलाहे दम्पत्ति नहाने आया करते थे। यहाँ से नीरू नीमा अपने साथ शिशु रूप धारी परमेश्वर को साथ ले गए थे। जब परमात्मा बड़े हुए तो जुलाहे का कार्य करने लगे। जिसके कारण परमात्मा भी जुलाहे कहलाये। वहीं परमात्मा ने बचपन से ही तत्वज्ञान प्रचार करना प्रारंभ कर दिया था और उस समय भारत में मौजूद दोनों धर्मों में फैले पाखंड को उजागर करना प्रारंभ कर दिया था। 

जिसके कारण दोनों धर्मों (हिन्दू व मुस्लिम) के धर्मगुरु परमात्मा से ईर्ष्या करते थे। यही वजह रही कि उन्होंने कबीर जी को जान से मारने का 52 बार प्रयास किया। लेकिन कबीर जी तो अविनाशी अल्लाह हैं तो उन्हें भला कौन मार सकता था। इसलिए उनके मारे भी परमात्मा नहीं मरे। 

कबीर जी द्वारा काशी के ब्राह्मणों का भ्रम निवारण 

वहीं जिस समय कबीर जी प्रकट हुए थे, उस समय काशी के ब्राह्मणों, पंडितों, हिंदू धर्मगुरुओं ने भ्रांति फैला रखी थी कि जो व्यक्ति काशी शहर में शरीर त्यागता है अर्थात मरता है वह सीधा स्वर्ग में जाता है और जो मगहर (मघहर) में मरता है, वह गधे का जीवन प्राप्त करता है तथा नरक में जाता है। जबकि कबीर परमेश्वर कहा करते थे कि 

कबीर, क्या काशी क्या ऊसर मगहर, राम हृदय बस मोरा।

जो कासी तन तजै कबीरा, रामे कौन निहोरा।।

अल्लाह कबीर ने अपने इन्हीं वचनों को प्रमाणित करने के लिए काशी शहर में 120 वर्ष लीला करके पंडितों, ब्राह्मणों तथा काजियों-मुल्लाओं से कहा था कि मैं मगहर में मरूँगा और स्वर्ग, महास्वर्ग यानि ब्रह्मलोक से भी उत्तम स्थान सतलोक में जाऊँगा। आप सभी पंडितजन अपना-अपना पतरा-पोथी, ज्योतिष वाले साथ लेकर चलना तथा देखना कि मैं कहाँ जा रहा हूँ? 

मगहर (मघहर) से अल्लाह कबीर जी का सशरीर प्रस्थान

तब माघ महीने की शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रमी संवत् 1575 सन् 1518 को मगहर में कबीर परमेश्वर ने हजारों, लाखों लोगों के सामने एक चद्दर नीचे बिछाई और एक ऊपर ओढ़ ली तथा थोड़ी देर बाद आकाशवाणी हुई कि, “उठा लो पर्दा, इसमें नहीं है मुर्दा”। मैं तो स्वर्ग से भी ऊपर सतलोक जा रहा हूं। जब लोगों ने चद्दर ऊठाई तो वहां शव नहीं मिला। बल्कि सुगंधित फूलों का ढ़ेर मिला और जब ऊपर देखा तो आकाश में तेजोमय प्रकाश का गोला जाता दिखाई दे रहा था। जिसका प्रमाण आदरणीय संत गरीबदास जी ने भी दिया है। 

गरीब, मुक्ति खेत कूं तजि गये, मघहर में दीदार। 

जुलहा कबीर मुक्ति हुआ, ऊंचा कुल धिक्कार।।

फूल मिले कफन के नीचे, पाया नहीं शरीर।

ऐसे समरथ आप थे, सतगुरु सत् कबीर।।

– संत गरीब दास जी

वहीं कबीर परमेश्वर के शरीर के स्थान पर मिले सुगंधित फूल को बाद में हिन्दू व मुसलमानों ने आपस में आधे-आधे बांटकर उसी स्थान पर 100 फीट की दूरी पर दो यादगार बना दीं थीं। जो आज भी मगहर यानि वर्तमान जिला संत कबीर नगर, उत्तरप्रदेश में विद्यमान हैं। ये दोनों यादगार आज भी इस घटना को प्रमाणित करती हैं। 

न जन्मे न मरे, अविनाशी थे अल्लाह कबीर 

Surah Ikhlas in Hindi: वहीं अल्लाह कबीर ने अपनी जानकारी स्वयं देते हुए बताया है कि

अवधु अविगत से चल आया, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।।

न मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक हो दिखलाया। 

काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।। 

मात-पिता मेरे कछु नहीं, ना मेरे घर दासी। 

जुलहा को सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी।। 

पांच तत्त्व का धड़ नहीं मेरा, जानूं ज्ञान अपारा। 

सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा।। 

अधरदीप (सतलोक) गगन गुफा में, तहां निज वस्तु सारा। 

ज्योति स्वरूपी अलख निरंजन (ब्रह्म), भी धरता ध्यान हमारा।।

हाड़ चाम लहु ना मेरे कोई जाने सत्यनाम उपासी।

तारन तरन अभय पद दाता, मैं हूँ कबीर अविनाशी ।।

कबीर सागर, अध्याय अगम निगम बोध पृष्ठ 41

कबीर जी ने रामानंद जी को गुरु क्यों बनाया?

Surah Ikhlas in Hindi : शादाब अहमद जी का यह भी कहना है कि कबीर जी ने ज्ञान प्राप्ति के लिए स्वामी रामानंद को गुरु बनाया था इसलिए वे अल्लाह नहीं हो सकते क्योंकि अल्लाह को सहारे की आवश्यकता नहीं होती। तो जानकारी के लिए बता दें, अधूरी जानकारी हमेशा खतरनाक होती है। आज यही बात मुस्लिम भाई शादाब अहमद जी के साथ बना हुआ है इसलिए वे इस तरह की निराधार बातें बोल रहे हैं। जबकि सच्चाई कुछ और ही है। 

संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि अल्लाह कबीर जी का विधान है कि बिना गुरु के मानव को जन्म-मृत्यु के चक्र से सदा के लिए मुक्ति नहीं मिल सकती। इसलिए कबीर जी ने हमें शिक्षा देने के लिए रामानंद जी को गुरु बनाया था। अन्यथा आज जीतने भी बिना गुरु के पंथ चल रहे हैं वे यही कहते कि कबीर जी ने कौन सा गुरु बनाया था, गुरु बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है। जबकि वास्तविकता यह है कि जब रामानंद जी ने कबीर परमेश्वर की समर्थता को सतलोक में आँखों देख लिए थे, तब उन्होंने कहा था:

सतलोक को देखकर, जाना परम प्रभु का भेव।

गरीबदास यह धाणका है, सब देवन का देव।। 

तहां वहाँ चित चक्रित भया, देखि फजल दरबार।

गरीबदास सिजदा किया, हम पाये दीदार।। 

तुम स्वामी मैं बाल बुद्धि, भर्म कर्म किये नाश। 

गरीबदास निज ब्रह्म तुम, हमरै दृढ़ विश्वास।।

सुन्न-बेसुन्न सैं तुम परै, उरैं स हमरै तीर। 

गरीबदास सरबंग में, अबिगत पुरूष कबीर।। 

बोलत रामानंद जी, सुन कबीर करतार।

गरीबदास सब रूप में, तुमहीं बोलन हार।। 

तुम साहिब तुम संत हौ, तुम सतगुरू तुम हंस।

गरीबदास तुम रूप बिन और न दूजा अंस।।  

मैं भगता मुक्ता भया, किया कर्म कुन्द नाश। 

गरीबदास अबिगत मिले, मेटी मन की बास।। 

दोहूं ठौर है एक तूं, भया एक से दोय। 

गरीबदास हम कारणें, उतरे हो मघ जोय।।

बोलै रामानंद जी, सुनौं कबीर सुभांन। 

गरीबदास मुक्ता भये, उधरे पिंड अरु प्राण।।

जिससे यह सिद्ध होता है कि लोगों की नजरों में तो रामानंद जी, कबीर जी के गुरु थे। लेकिन वास्तविकता में रामानंद जी, कबीर परमेश्वर को अपना गुरु/भगवान मानते थे। जिसका प्रमाण कबीर सागर, अध्याय अगम निगम बोध पृष्ठ 34 में कबीर जी ने दिया है,

गुरू रामानंद जी समझ पकड़ियो मोरी बाहीं। 

जो बालक रून झुनियां खेलत सो बालक हम नाहीं।। 

हम तो लेना सत का सौद हम ना पाखण्ड पूजा चाहीं।

बांह पकड़ो तो दृढ़ का पकड़ बहुर छुट न जाई।। 

पांच तत्त्व की देह ना मेरी, ना कोई माता जाया। 

जीव उदारन तुम को तारन, सीधा जग में आया।। 

सार शब्द सरजीवन कहिए, सब मन्त्रन का सरदारा। 

कह कबीर सुनो गुरू जी या विधि उतरें पारा।।

3. शादाब अहमद का कहना है कि कबीर जी का जन्म हुआ था, उनकी पत्नी, पुत्र-पुत्री थे। जबकि सूरह अल-इख़लास (Surah Ikhlas in Hindi) 112 की आयत 3 में कहा गया है कि ‘ना उसने किसी को जना, और ना किसी और ने उसको जना’। इसलिए कबीर जी सूरह अल-इख़लास की कसौटी पर खरा नहीं उतरते हैं। 

आपने ऊपर प्रमाण सहित जाना की कि कबीर जी की जन्म और मृत्यु नहीं हुई थी अर्थात कबीर जी अविनाशी अल्लाह हैं। वहीं शादाब अहमद कहते हैं कि कबीर जी की पत्नी थी यह बिल्कुल झूठ है। क्योंकि कबीर परमेश्वर ने बताया है:

मात-पिता मेरे कछु नहीं, ना मेरे घर दासी। 

जुलहा को सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी।।

पांच तत्त्व का धड़ नहीं मेरा, जानूं ज्ञान अपारा। 

सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा।।

अर्थात कबीर परमेश्वर ने बताया है कि मेरे कोई माता-पिता नहीं हैं और न ही मेरी कोई पत्नी (दासी) है। मैं स्वयं सशरीर प्रकट हुआ था और जुलाहे नीरू नीमा को मिला था जिसके कारण में जुलाहे का पुत्र कहलाता हूँ। परंतु मेरा जन्म नहीं हुआ है। मेरा शरीर भी आपकी तरह बना हुआ पाँच तत्व का नहीं है और जो उस परमात्मा का वास्तविक नाम है, वही कबीर नाम मेरा है।

कमाल को जीवित कर किया अद्भुत चमत्कार

दिल्ली का बादशाह सिकंदर लोदी का जब लाइलाज जलन का रोग परमेश्वर कबीर जी के आशीर्वाद से ठीक हो गया और सिकंदर लोदी द्वारा रामानंद की गर्दन किसी कारणवश काट देने पर जब कबीर जी ने उसके सामने रामानंद को जीवित कर दिया। तो सिकंदर लोदी भी परमेश्वर कबीर जी का शिष्य बन गया था। जिसके बाद उसने कबीर जी की महिमा का बखान अपने धार्मिक गुरु (पीर) शेखतकी के सामने कर दी। जिससे शेखतकी कबीर जी से ईर्ष्या करने लगा। 

Surah Ikhlas in Hindi: जिसके बाद एक समय शेखतकी ने कहा कि मैं कबीर जी को अल्लाह तब मानूंगा जब कबीर मुर्दे को जीवित कर दे। तब परमेश्वर ने नदी में बहते हुए जा रहे मुर्दे को हजारों सैनिकों के सामने जीवित किया था। जिसके बाद सभी सैनिक कहने लगे कमाल कर दिया कबीर जी ने कमाल कर दिया। जिससे कबीर जी ने उस लड़के का नाम कमाल रखा और अपने पुत्रवत पालन पोषण किया। 

कब्र खुदवाकर कमाली को दिया नया जीवन दान

Surah Ikhlas in Hindi: फिर शेखतकी ने दूसरी शर्त रख दी कि लड़का तो सदमे में था, मैं कबीर जी को अल्लाह तब मानूंगा जब वह मेरी मृत लड़की जो कब्र में दबा रखी है उसे जीवित कर दे। तब कबीर परमेश्वर ने कहा की ठीक है। आप सभी जगह सूचना दे दो, कहीं फिर किसी और व्यक्ति को शंका न रह जाए। 

हजारों की संख्या में लोग निश्चित दिन को एकत्रित हो गए। कबीर परमात्मा ने कब्र खुदवाई, जिसमें एक 12-13 वर्ष की लड़की का शव रखा हुआ था। फिर कबीर जी ने शेखतकी से कहा कि पीर जी पहले आप जीवित कर लो। सभी उपस्थित लोगों ने कबीर जी से कहा है कि प्रभु यदि इसके पास कोई ऐसी शक्ति होती तो अपने बच्चे को कौन मरने देता है? 

हे प्रभु! आप ही कृपा करो। जिसके बाद कबीर साहेब ने तीन बार कहा कि हे शेखतकी की लड़की जीवित हो जा। लेकिन लड़की जीवित नहीं हुई। शेखतकी तो नाचने-कूदने लगा कि देखा न पाखण्डी का पाखंड पकड़ा गया। परमेश्वर कबीर जी ईर्ष्यालु शेखतकी की सच्चाई जनता को दिखाना चाहते थे कि

कबीर, राज तजना सहज है, सहज त्रिया का नेह।

मान बड़ाई ईर्ष्या, दुर्लभ तजना ये।।

परमेश्वर कबीर जी ने बताया है कि मान-बड़ाई, ईर्ष्या का रोग बहुत भयानक है। जिसके कारण शेखतकी को अपनी लड़की के जीवित न होने का दुःख नहीं था, बल्कि कबीर साहेब की पराजय की वह खुशी मना रहा था। कबीर साहेब ने कहा कि बैठ जाओ पीर जी, शान्ति रखो। 

Surah Ikhlas in Hindi: जिसके बाद कबीर साहेब ने हुक्म दिया कि हे जीवात्मा जहाँ भी है कबीर हुक्म से इस शव में प्रवेश कर और बाहर आ जा। कबीर प्रभु का कहना ही था कि इतने में शव में कम्पन हुई और वह लड़की जीवित होकर बाहर आ गई। जिसके बाद लड़की ने कबीर साहेब के चरणों में दण्डवत् प्रणाम किया। साथ ही, कबीर साहेब की कृपा से उस लड़की ने डेढ़ घंटे तक प्रवचन किए और बताया कि ये आम जुलाहे की भूमिका करने वाले अल्लाहु अकबर हैं। 

फिर कबीर साहेब ने कहा कि बेटी अपने पिता के साथ जाओ। वह लड़की बोली मेरे वास्तविक पिता तो आप हैं परमेश्वर। यह तो नकली पिता है। इसने तो मुझे मिट्टी में (कब्र में) दबा दिया था। मेरा और इसका हिसाब बराबर हो गया है। जिसके बाद सभी उपस्थित लोगों ने कहा कि कबीर जी ने कमाल कर दिया। तो कबीर परमेश्वर ने उस लड़की का नाम कमाली रख दिया और अपनी बेटी की तरह रखा। 

4. शादाब अहमद का कहना है कि सूरह अल-इख़लास 112 की आयत 4 बताती है कि अल्लाह के जैसा कोई नहीं है जिस पर कबीर जी फिट नहीं बैठते हैं। वहीं जो लोग सूरत फुरकानी 25 आयत 52-59 से बता रहे हैं कि अल्लाह कबीर है तो वे झूठ फैला रहे हैं।

पाठकों, कुरआन शरीफ के सूरह अल-इख़लास (Surah Ikhlas in Hindi) 112 की आयत 1 व 4 का मतलब एक ही है, जिसके विषय में आप विस्तार पूर्वक ऊपर पढ़ चुके हैं। वहीं इसी का प्रमाण संत गरीबदास जी ने भी दिया है। 

गरीब, अनन्त कोटि ब्रह्मण्ड का एक रति नहीं भार।

सतगुरु पुरुष कबीर हैं कुल के सृजन हार।।

हम सुल्तानी नानक तारे, दादू कूं उपदेश दिया।

जात जुलाहा भेद नहीं पाया, काशी माहे कबीर हुआ।।

गरीब, अनंत कोटि ब्रह्मांड में, बंदी छोड़ कहाय।

सो तो एक कबीर हैं, जननी जन्या न माय।।

– संत गरीबदास जी

वहीं रही बात कुरआन शरीफ के सूरत फुरकानी (सूरत फुरकान) 25 आयत 52-59 की तो आगे पढ़िए इसकी विस्तृत जानकारी। 

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Surah Ikhlas in Hindi: 6 दिन में हुई कायनात (सृष्टि) की रचना

कुरआन शरीफ के सूरत फुरकान (Surah Furqan) 25 की आयत 52-59 में कुरआन का ज्ञान हजरत मुहम्मद को देने वाला अल्लाह कह रहा है कि  

फला तुतिअल् – काफिरन् व जहिद्हुम बिही जिहादन् कबीरा (कबीरन्)।।52।। 

भावार्थ: ऐ पैगम्बर! आप काफिरों अर्थात जो एक परमात्मा की भक्ति छोड़कर अन्य देवी-देवताओं तथा मूर्ति आदि की पूजा करते हैं का कहा मत मानना, क्योंकि वे लोग अल्लाह कबीर को पूर्ण परमात्मा (अल्लाहु अकबर) नहीं मानते। आप मेरे द्वारा दिए गए इस कुरआन (कुरान) के ज्ञान के आधार पर अटल रहना कि कबीर ही कादर अल्लाह है तथा उस कबीर अल्लाह के लिए संघर्ष करना अर्थात् इस मार्ग में अडिग रहना, किसी से लड़ना नहीं।

व तवक्कल् अलल् – हरिूल्लजी ला यमूतु व सब्बिह् बिहम्दिही व कफा बिही बिजुनूबि अिबादिही खबीरा (कबीरा)।।58।। 

भावार्थ: ऐ पैगम्बर! उस कबीर अल्लाह पर विश्वास रख, जो तुझे जिंदा महात्मा के रूप में काबा में आकर मिला था (कबीर परमेश्वर हजरत मुहम्मद जी को जिंदा महात्मा रूप में दो बार मिले थे, लेकिन मुस्लिम समाज को एक बार की ही जानकारी है)। वह कभी मरने वाला नहीं है अर्थात् अविनाशी है। तारीफ के साथ उसकी पवित्र महिमा (पाकी) का गुणगान किए जा, वह कबीर अल्लाह (परमेश्वर) पूजा के योग्य है तथा अपने उपासकों के सर्व पापों को विनाश करने वाला है।

अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि अर्रह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।59।।

भावार्थ: वह कबीर अल्लाह वही है जिसने जमीन तथा आसमान के बीच में जो कुछ विद्यमान है, सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक (सतलोक) में सिंहासन पर विराजमान हो गया। उसके विषय में जानकारी किसी बाखबर यानि तत्त्वदर्शी संत से पूछो। 

जिससे स्पष्ट होता है कि अल्लाह साकार है क्योंकि जो तख्त (सिंहासन) पर विराजमान है, वह निराकार (बेचून) नहीं हो सकता। साथ ही, इससे यह भी पता चलता है कि कुरआन ज्ञान दाता को जिसे मुस्लिम समाज अपना अल्लाह मानता है वह उस कबीर अल्लाह की सम्पूर्ण जानकारी नहीं जानता। इसलिए उसने बाखबर तत्त्वदर्शी संत की तलाश करने के लिए कहा है यानि कुरआन में अल्लाह कबीर की सम्पूर्ण जानकारी नहीं है।

Surah Ikhlas in Hindi: वहीं मुस्लिम धर्म में ‘कबीर’ का अर्थ बड़ा किया जाता है लेकिन वास्तव में यह नाम अल्लाह ताला कबीर जी का है। जिसका प्रमाण सिख धर्म के संस्थापक माने जाने वाले गुरुनानक देव जी ने दिया है, पढ़िए।

आदम की उत्पत्ति करने वाला सबसे बड़ा अल्लाह कबीर है

गुरुनानक जी को कबीर परमेश्वर जिंदा महात्मा के रूप में बेई नदी, सुल्तानपुर में मिले थे। फिर परमेश्वर ने सतलोक (सच्चखंड) में अपनी समर्थता को दिखाकर उन्हें वापिस छोड़ा था। जिसके बाद नानक जी ने परमेश्वर कबीर जी की कलम तोड़ महिमा अपनी वाणियों में की है। जिसकी झलक हमें श्री गुरुग्रंथ साहिब के महला एक, भाई बाले वाली जन्म साखी में देखने को मिलती है। वहीं पुस्तक “भाई बाले वाली जन्म साखी” के पृष्ठ 198 पर काजी रूकनदीन सूरा के प्रश्न का उत्तर देते हुए नानक देव जी ने कहा है :-

खालक आदम सिरजिआ आलम बड़ा कबीर।

काइम दाइम कुदरती सिर पीरां दे पीर। 

सयदे (सजदे) करे खुदाई नूं आलम बड़ा कबीर।

अर्थात जिस अल्लाह (परमेश्वर) ने हजरत आदम की उत्पत्ति की, वह सबसे बड़ा परमात्मा (अल्लाह ताला) कबीर है। वही सर्व उपकार करने वाला है तथा सब गुरुओं का गुरु (पीर) है। उस सब से बड़े कबीर परमात्मा को सिजदा (प्रणाम) करो और उसी की पूजा करो। 

Surah Ikhlas in Hindi: अल्लाह कबीर अपनी जानकारी स्वयं दी है

स्वामी रामानंद जी को परमेश्वर कबीर जी ने बताया कि

ना मैं जन्मु ना मरूँ, ज्यों मैं आऊँ त्यों जाऊँ।

गरीबदास सतगुरु भेद से लखो हमारा ढांव।।

भावार्थः कबीर साहेब जी ने कहा कि हे रामानन्द जी! मैं न तो जन्म लेता हूँ? न मृत्यु को प्राप्त होता हूँ। मैं 84 लाख प्राणियों के शरीरों में आने (जन्म लेने) व जाने (मृत्यु होने) के चक्र से भी रहित हूँ। मेरी विशेष जानकारी किसी तत्त्वदर्शी संत (सतगुरु) के ज्ञान को सुनकर प्राप्त करो।

इसके अलावा कबीर परमेश्वर ने अपनी जानकारी बताते हुए कहा है कि मैं ही सर्व ब्रह्मांडों को रचने वाला अलख अल्लाह हूँ। मुझे वेदों में कवि: (कविर्देव) और कुरान में कबीरन् (कबीरा, खबीरन्) कहा गया है। वैसे मेरा वास्तविक नाम कविर्देव (कबीर) है। 

कबीर, हमहीं अलख अल्लाह हैं, मूल रूप करतार।

अनंत कोटि ब्रह्मांड का, मैं ही सृजनहार।।

हम ही अलख अल्लाह हैं, हमरा अमर शरीर।

अमर लोक से चलकर आए, काटन जम की जंजीर।।

कविः नाम जो बेदन में गावा, कबीरन् कुरान कह समझावा।

वाही नाम है सबन का सारा, आदि नाम वाही कबीर हमारा।।

अल्लाह कबीर की और अधिक विस्तृत जानकारी के लिए डाउनलोड करिए Sant Rampal Ji Maharaj App या Sant Rampal Ji Maharaj Youtube Channel देखें। 

Surah Ikhlas in Hindi: निष्कर्ष

पाठकों, इस पूरे लेख को पढ़ने से यह स्पष्ट होता है कि मुस्लिम भाई शादाब अहमद को अपनी धर्म की पवित्र किताब कुरआन शरीफ का ज्ञान नहीं है। इसलिए वे अल्लाह कबीर के विषय में निराधार बातें बोल रहे हैं। जबकि संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताया गया ज्ञान सत्य और प्रमाणित है। साथ ही, इस लेख से निम्न बातें भी सिद्ध होती हैं: 

  1. कुरआन शरीफ के सूरह अल-इख़लास (Surah Ikhlas in Hindi) 112 की आयत 1-4 में दी गई पहचान कबीर साहेब पर खरी उतरती है। जिससे सिद्ध है कि कबीर साहेब ही अल्लाह ताला/कादर अल्लाह/अल्लाहु अकबर हैं। 
  2. कबीर साहेब का जन्म किसी माँ से नहीं हुआ था और ना ही उनकी मृत्यु हुई। बल्कि वे सशरीर शिशु रूप में प्रकट हुए थे और सशरीर सतलोक को चले गए थे। 
  3. शादाब अहमद का यह भी कथन गलत सिद्ध हुआ कि कबीर जी की पत्नी और पुत्र-पुत्री थे। क्योंकि कबीर साहेब ने प्रथम तो विवाह ही नहीं कराया था। दूसरा उन्होंने जिन दो मुर्दों को किसी शर्त पर जीवित किया था, उन्हें ही अपने पुत्र-पुत्री रूप में रखा था। 
  4. मुस्लिम समाज कुरआन शरीफ, सूरत फुरकानी 25 आयत 52-59 में जिस कबीर शब्द का अर्थ बड़ा करते हैं वह वास्तविक में सर्व कायनात (सृष्टि) को बनाने वाले अल्लाह ताला का वास्तविक नाम है। जिसकी सम्पूर्ण जानकारी कुरआन ज्ञान दाता को नहीं है। इसलिए उसने कबीर अल्लाह की सम्पूर्ण जानकारी बाखबर संत से पूछने के लिए कहा है। 

Surah Ikhlas in Hindi: FAQs

प्रश्न: सूरह इख़लास (Surah Ikhlas in Hindi) कौन-सा सूरा (सूरह) है?

उत्तर: कुरआन शरीफ (कुरआन मजीद) का सूरह अल-इख़लास 112 वां सूरह है। 

प्रश्न: सूरह अल-इख़लास के क्या-क्या फायदे हैं?

उत्तर: सूरह अल-इख़लास (Surah Ikhlas in Hindi) को पढ़ने से परमात्मा की पहचान अर्थात अल्लाह के लक्षणों की जानकारी पता चलती है। 

प्रश्न: सूरह अल-इख़लास (Surah Ikhlas in Hindi) के अनुसार अल्लाह ताला कौन है?

उत्तर: कबीर साहेब जी ही सूरह अल-इख़लास 112 आयत 1-4 के अनुसार अल्लाह ताला हैं। 

प्रश्न: अविनाशी अल्लाह (प्रभु) कौन है, जिसकी जन्म-मृत्यु नहीं होती?

उत्तर: कबीर जी ही अविनाशी अल्लाह हैं, उनकी जन्म-मृत्यु नहीं होती।

प्रश्न: अल्लाह ने कायनात को कितने दिनों में बनाया है?

उत्तर: कुरान शरीफ, सूरत फुरकानी 25 आयत 52-59 के अनुसार अल्लाह ने कायनात को छः दिन में बनाया।

प्रश्न: अल्लाह का असली नाम क्या है?

उत्तर: कुरान शरीफ सूरह अल-इख़लास (Surah Ikhlas in Hindi) 112 आयत 1-4 और सूरत फुरकानी 25 आयत 52-59 के अनुसार अल्लाह का असली नाम कबीर है।

प्रश्न: कुरान में अल्लाह के क्या लक्षण बताए गए हैं?

उत्तर: कुरान शरीफ के सूरह अल-इख़लास (Surah Ikhlas in Hindi) 112 की आयत 1-4 में अल्लाह (परमात्मा) के निम्न लक्षण बताए गए हैं:
1. कह दीजिये, “वह अल्लाह एक है,
2. अल्लाह बेनियाज़ (निराधार) है,
3. ना उसने किसी को जना, और ना किसी और ने उसको जना,
4. और उसका कोई समकक्ष (हमसर) नहीं”

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