Kalashtami Vrat 2024: हिंदू धर्म में, कालाष्टमी का पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष सावन (श्रावण) मास में कालाष्टमी व्रत कब रखा जाएगा, इसके क्या लाभ हैं, और काल भैरव को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है? यह जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें…
क्यों मनाया जाता है Kalashtami Vrat 2024?
हिंदू धर्म में भगवान काल भैरव की पूजा के लिए कालाष्टमी तिथि का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस शुभ तिथि पर कालभैरव की पूजा करने से दुःख और दरिद्रता से मुक्ति मिलती है।
कब हुआ था काल भैरव का जन्म
Kalashtami Vrat 2024: इस तिथि को कालाष्टमी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था।
Kalashtami Vrat 2024 Me Kab Hai
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 28 जुलाई को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाएगा।
यह भी पढ़ें: श्रीकृष्ण का प्रादुर्भाव कब हुआ?
Kalashtami Vrat 2024 का महत्व
यह शुभ तिथि भैरव बाबा से असीम शक्ति प्राप्त करने का दिन माना जाता है। इसलिए, इस दिन पूजा और व्रत का विशेष महत्व है।
मासिक कालाष्टमी की पूजा विधि से लाभ
पवित्र गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में कहा गया है कि “न ज्यादा खाने वाले की और बिल्कुल न खाने वाले अर्थात व्रत रखने वाले की भक्ति सफल नहीं होती।”
वही गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में लिखा है कि “भूत पूजने वाले भूतों को, पितर पूजने वाले पितरों को, देवताओं को पूजने वाले देवताओं को और भगवान को पूजने वाले भगवान को प्राप्त होते हैं।”
साथ ही, गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 में लिखा है कि “शास्त्र अनुकूल भक्ति छोड़कर मनमानी साधना करने से कोई लाभ नहीं होता। इसलिए शास्त्रों के अनुसार ही भक्ति साधना करने योग्य है।”
जिससे स्पष्ट है कि Kalashtami Vrat 2024 रखना, काल भैरव की पूजा करने से कोई लाभ नहीं होगा क्योंकि गीता आदि पवित्र शास्त्रों में ऐसे कोई भी व्रत या देवताओं की पूजा का प्रावधान नहीं है। बल्कि एक पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने के लिए हमारे सद्ग्रंथ कहते हैं।
भैरव बाबा को कैसे करें प्रसन्न?
कबीर साहेब जी कहते हैं:
कबीर एकै साधै सब सधै, सब साधैं सब जाय।
माली सीचें मूल कूँ, फलै फूलै अघाय।।
अर्थात् जैसे पौधे की जड़ों में सिंचाई की जाए तो पूरा पौधा तृप्त हो जाता है तथा खूब फलता-फूलता है। यदि पौधे को उल्टा शाखाओं की ओर से जमीन में दबाकर मूल (जड़) को ऊपर को कर दें और सब शाखाओं की सिंचाई करें यानि सब साधै तो सब जाये यानि पौधा नष्ट हो जाएगा।
गीता अध्याय 15 श्लोक 1-4 में भी यह प्रकरण विस्तार से बताया गया है। इस उल्लेख से यह स्पष्ट होता है कि यदि हम एक पूर्ण परमात्मा को इष्ट रूप में पूजते हैं तो काल भैरव सहित सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और हमें लाभ देते हैं। जिससे दुःख, दरिद्रता समाप्त हो जाती है।
पूर्ण परमात्मा की विस्तृत जानकारी जानने के लिए प्रतिदिन Sant Rampal Ji Maharaj Youtube Channel देखें।