Lord Shiva:Factful Debates

भगवान शिव अविनाशी हैं (Is Lord Shiva immortal) या कोई और भगवान?

हिन्दू धर्म जितना विशाल है उतने ही तरह की विचार धाराएं भी इस धर्म में मिलती हैं और उतने ही देवी-देवताओं का जिक्र मिलता है। जैसे कोई शिव को अविनाशी (Is Lord Shiva immortal) बताता है तो कोई विष्णु जी को अविनाशी ठहरता है तो कोई यहाँ तक कहता है कि शिव और विष्णु जी एक ही हैं। 

जिससे लोगों में शंका उत्पन्न होती है कि अविनाशी भगवान माने तो माने किसे और पूजें तो पूजें किसे? तो इसके लिए हमने इस लेख में धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी और संत रामपाल जी महाराज (Dhirendra Krishna Shastri vs Sant Rampal Ji Maharaj) के विचार लें रहें हैं। हमें यकीन है कि इस लेख को पढ़ने के बाद आपको यह स्पष्ट हो जाएगा कि अविनाशी भगवान कौन है और सच्चाई क्या है? 

इस लेख में हम निम्न बिन्दु के विषय में जानेंगे:

  • धीरेन्द्र शास्त्री जी के अनुसार शिव (Lord Shiva) जी
  • शिव जी की स्थिति संत रामपाल जी के अनुसार
  • देवी पुराण : क्या शिव जी (Is Lord Shiva immortal) अमर हैं?
  • शिव जी और विष्णु जी दो भिन्न-भिन्न शक्तियाँ
  • महादेव (Lord Shiva) की आयु कितनी है?
  • गीतानुसार शिव जी से अन्य परम अक्षर ब्रह्म कौन?
  • वेदों अनुसार अविनाशी भगवान कबीर जी

धीरेन्द्र शास्त्री के अनुसार शिव (Lord Shiva) जी

धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) जी का मानना है कि भगवान शिव जी अविनाशी हैं और शंकर जी और भगवान विष्णु जी दोनों एक ही हैं। 

शिव जी (Lord Shiva) की स्थिति संत रामपाल जी के अनुसार

वही संत रामपाल जी महाराज (Sant Rampal Ji Maharaj) का कहना है कि ब्रह्मा-विष्णु-महेश (शिव जी) नाशवान हैं। इनकी जन्म और मृत्यु होती है। जिसका प्रमाण देवीपुराण के तीसरे स्कन्ध में दिया गया है। तो पढ़िए श्री देवीपुराण का यह प्रमाण।  

देवीपुराण : क्या शिव जी (Lord Shiva) अमर हैं?

श्रीमद्देवी भागवत यानि देवीपुराण (गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित, जिसके संपादक हैं हनुमान प्रसाद पोद्दार, चिमनलाल गोस्वामी) के तीसरे स्कन्ध अध्याय 4-5 के पृष्ठ 123 पर भगवान विष्णु, अपनी माता दुर्गा की स्तुति करते हुए कह रहे हैं “तुम शुद्ध स्वरूपा हो, यह सारा संसार तुम्ही से उद्भाषित हो रहा है। मैं, ब्रह्मा और शंकर हम सभी तुम्हारी कृपा से विद्यमान हैं। हमारा आविर्भाव यानि जन्म और तिरोभाव यानी मृत्यु हुआ करता है अर्थात हमारा तो जन्म और मृत्यु हुआ करता है। केवल तुम ही नित्य हो, जगत जननी, प्रकृति और सनातनी देवी हो।” 

फिर भगवान शंकर (Is Lord Shiva immortal) बोले, “देवी! यदि महाभाग विष्णु जी आप से प्रकट हुए हैं तो उनके बाद उत्पन्न होने वाले ब्रह्मा भी तुम्हारे बालक हुए। फिर मैं तमोगुण लीला करने वाला शंकर क्या तुम्हारी संतान (तुम्हारा पुत्र) नहीं हुआ अर्थात मुझे भी उत्पन्न करने वाली तुम ही हो। शिवे (देवी दुर्गा)! संपूर्ण संसार की सृष्टि करने में तुम बड़ी चतुर हो। इस संसार की सृष्टि, स्थिति और संहार में तुम्हारे गुण सदा समर्थ हैं। उन्हीं तीनों गुणों से उत्पन्न हम ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर नियमानुसार कार्य में तत्प रहते हैं।” 

इस प्रमाण से धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी बनाम संत रामपाल जी महाराज (Dhirendra Krishna Shastri vs Sant Rampal Ji Maharaj) की ज्ञानचर्चा से यह सिद्ध होता है कि धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी सुने सुनाए ज्ञान के आधार पर शिव जी को अविनाशी बता रहे हैं। जबकि संत रामपाल जी महाराज जी प्रमाण सहित बता रहे हैं कि भगवान शिव जी अजर अमर नहीं हैं। 

यह भी पढ़ें : भगवान कैसा है, साकार है या निराकार?

शिव जी (Lord Shiva) और विष्णु जी दो भिन्न-भिन्न शक्तियाँ

पाठकों, देवीपुराण के तीसरे स्कन्ध से यह भी स्पष्ट होता है कि शिव शंकर और विष्णु जी एक नहीं हैं बल्कि दो भिन्न-भिन्न शक्तियाँ हैं। जिसमें विष्णु जी तीन लोक (स्वर्ग, पृथ्वी व पाताल लोक) में सतोगुण विभाग के स्वामी हैं जबकि शिव जी इन्हीं तीन लोकों में तमोगुण विभाग के मालिक हैं।

इसके अलावा श्री मार्कण्डेय पुराण (सचित्र मोटा टाईप गीता प्रैस गोरखपुर से प्रकाशित) के अध्याय 25 में 131 पृष्ठ पर कहा गया है कि रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शंकर, ये तीनों ब्रह्म की प्रधान शक्तियाँ हैं, ये ही तीन देवता हैं। ये ही तीन गुण हैं।

साथ ही, श्री देवी महापुराण {श्री वैंकटेश्वर प्रैस बम्बई (मुंबई) से प्रकाशित} के तीसरे स्कन्ध अध्याय 5 श्लोक 8 में लिखा है कि भगवान शंकर (Is Lord Shiva immortal) बोले, हे माता! यदि आप हम पर दयालु हैं तो मुझे तमोगुण, ब्रह्मा को रजोगुण तथा विष्णु को सतोगुण युक्त उत्पन्न क्यों किया?

इससे भी धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी का शंकर जी और भगवान विष्णु जी को एक मानना गलत सिद्ध होता है। 

महादेव (Lord Shiva) की आयु कितनी है?

जैसा कि हमें अपने सद्ग्रंथों से मालूम होता है कि चार युग (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग तथा कलयुग) का एक चतुर्युग होता है। जिसमें मनुष्यों के 43,20,000 वर्ष होते हैं। इस प्रकार बने 1008 चतुर्युग का ब्रह्मा जी का दिन और इतनी ही रात्रि होती है। ऐसे बने हुए 30 दिन-रात्रि का एक महीना तथा 12 महीनों का ब्रह्मा जी का एक वर्ष होता है और ऐसे बने 100 वर्ष की आयु श्री ब्रह्मा जी की है। 

वही श्री विष्णु जी की आयु श्री ब्रह्मा जी से 7 गुणा यानि 700 वर्ष और श्री शिव शंकर जी की आयु श्री विष्णु जी से 7 गुणा अधिक यानि 4900 वर्ष है। जबकि पूर्ण परमात्मा अजर अमर अविनाशी होता है, उसकी कोई आयु सीमा नहीं होती है।

गीतानुसार शिव जी (Lord Shiva) से अन्य परम अक्षर ब्रह्म कौन?

गीता अध्याय 7 श्लोक 12-15 में गीता ज्ञान दाता कहता है कि मेरी त्रिगुणमयी माया {रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु और तमगुण शिव (Lord Shiva)} की पूजा के द्वारा जिनका ज्ञान हरा जा चुका है वे आसुर (राक्षस) स्वभाव को धारण किए हुए, मनुष्यों में नीच, दूषित अर्थात दुष्कर्म करने वाले मूर्ख मेरी भक्ति भी नहीं करते।

जबकि गीता अध्याय 2 के श्लोक 17 में कहा गया है:

अविनाशि, तु, तत्, विद्धि, येन्, सर्वम्, इदम्, ततम्,
विनाशम्, अव्ययस्य, अस्य, न, कश्चित्, कर्तुम्, अर्हति।।17।।

अनुवाद: (अविनाशि) नाशरहित (तु) तो तू (तत्) उसको (विद्धि) जान (येन्) जिससे (इदम्) यह (सर्वम्) सम्पूर्ण जगत् दृश्यवर्ग (ततम्) व्याप्त है। (अस्य) इस (अव्ययस्य) अविनाशी का (विनाशम्) विनाश (कर्तुम्) करने में (कश्चित) कोई भी (न, अर्हति) समर्थ नहीं है।।

फिर गीता अध्याय 15 के श्लोक 4 मे कहा है कि जब गीता अध्याय 4 श्लोक 34 और गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में वर्णित तत्वदर्शी संत मिल जाए। इसके पश्चात् उस परमेश्वर के परम पद अर्थात् सतलोक को भलीभाँति खोजना चाहिए। जिसमें गये हुए साधक फिर लौटकर संसार में नहीं आते और गीता अध्याय 8 श्लोक 3 में वर्णित जिस परम अक्षर ब्रह्म से सृष्टि उत्पन्न हुई है, उस सनातन पूर्ण परमात्मा की ही मैं शरण में हूँ। पूर्ण निश्चय के साथ उसी परमात्मा का भजन करना चाहिए।

वही उस परम अक्षर ब्रह्म के विषय में गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में कहा है कि उत्तम पुरुष (भगवान) तो गीता अध्याय 15 श्लोक 16 में वर्णित क्षर पुरुष (ब्रह्म) और अक्षर पुरुष (परब्रह्म) दोनों प्रभुओं से अन्य है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण पोषण करता है एवं अविनाशी परमात्मा कहा गया है।

गीता के उपरोक्त प्रमाणों से यह तो स्पष्ट है कि ब्रह्मा, विष्णु, शिव (Is Lord Shiva immortal), ब्रह्म व परब्रह्म से कोई अन्य परम अक्षर ब्रह्म अर्थात परमेश्वर है जो वास्तव में अविनाशी है। लेकिन वह है कौन? तो जानने के लिए लेख को पूरा अवश्य पढ़ें।

यह भी पढ़ें : श्रीकृष्ण या कबीर जी, किस प्रभु की भक्ति से हो सकते हैं पाप नाश?

वेदों अनुसार अविनाशी भगवान कबीर जी

वेदों में अनेक प्रमाण हैं कि सर्व ब्रह्मांडों का रचनहार अविनाशी परमात्मा कविर्देव अर्थात कबीर साहेब है। पढ़िए वेदों के निम्न प्रमाण: 

  • पुरातन-सनातन अविनाशी परमेश्वर कविर्देव अर्थात कबीर परमात्मा है। – संख्या न. 822 सामवेद उतार्चिक अध्याय 3 खण्ड न. 5 श्लोक न. 8 और संख्या न. 968 सामवेद अध्याय न. 6 का खण्ड न. 2 का श्लोक न. 1
  • सर्व सृष्टि रचनहार पूर्णब्रह्म कविर्देव यानि कबीर परमेश्वर न मारा जाने वाला अर्थात् अविनाशी अपने उपासक भक्त के पाप कर्मों को नष्ट करके पवित्र करने वाला है। – संख्या न. 920 सामवेद के उतार्चिक अध्याय न. 5 के खण्ड न. 4 का श्लोक न. 2
  • जो परमात्मा कवियों की तरह आचरण करके अपना तत्वज्ञान प्रदान करता है वह कविर्देव है अर्थात् कबीर साहेब है। वह जन्मता व मरता नहीं है यानि अविनाशी है। – ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 94 मंत्र 3
  • सर्व सृष्टि का रचनहार कविर्देव अर्थात कबीर परमात्मा अविनाशी शरीर युक्त है। – ऋग्वेद मण्डल 1 सूक्त 1 मंत्र 5
  • कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर का शरीर नाड़ी तंत्र के जोड़ जुगाड़ से नहीं बना होता। बल्कि वह परमेश्वर सशरीर आता है और सशरीर चला जाता है अर्थात कबीर परमात्मा अजर अमर अविनाशी परमेश्वर है। – ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3 और यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 

निष्कर्ष

इससे यह सिद्ध होता है कि 

  • शिव जी अजर अमर अविनाशी नहीं हैं बल्कि वेद और गीता अनुसार परम अक्षर ब्रह्म कविर्देव अर्थात कबीर परमात्मा ही अजर अमर अविनाशी भगवान हैं। 
  • शिव (Lord Shiva) जी और विष्णु जी एक नहीं हैं बल्कि दो अलग-अलग शक्तियां हैं। 
  • इससे यह भी सिद्ध होता है कि धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी को गीता, वेद, पुराणों का ज्ञान नहीं है। 
  • वही उपरोक्त प्रमाण इस बात की गवाही देते हैं कि संत रामपाल जी महाराज जी जो ज्ञान बता रहे हैं वह धर्मशास्त्रों के अनुसार सत्य है। 

इसलिए अविनाशी परमात्मा कबीर जी कि सम्पूर्ण जानकारी जानने के लिए प्रतिदिन संत रामपाल जी महाराज जी के सत्य आध्यात्मिक सत्संग को Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel पर देखिए या Sant Rampal Ji Maharaj App से पवित्र पुस्तक “हिन्दू साहेबान नहीं समझे गीता, वेद, पुराण” को नि:शुल्क डाउनलोड करके पढ़ें।

2 Comments

  1. Rohit kothari

    शिव महापुराण, में प्रमाण है की त्रिदेव की सीमित आयु है, अर्थात् अमर नहीं हैं ।। 👇🏻
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    🔸शिव महापुराण, रुद्र संहिता (सृष्टि), अ 10
    ब्रह्मणो वर्षमात्रेण दिनं वैष्णवमुच्यते ।
    सोऽपि वर्षशतं यावदात्ममानेन जीवति ।१८।
    वैष्णवेन तु वर्षेण दिनं रौद्रं भवेद् ध्रुवम् ।
    हरो वर्षशते याते नररूपेण संस्थितः ।१९।
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    ब्रह्मा के एक वर्ष के बराबर विष्णु‌ का एक दिन कहा जाता है। वे विष्णु भी अपने सौ वर्ष के प्रमाण तक जीवित रहते हैं। विष्णु के एक वर्ष के बराबर रुद्र का एक दिन होता है। भगवान् रुद्र भी उस मान के अनुसार नर रूप में सौ वर्ष तक स्थित रहते हैं ।।
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    🔸शिव महापुराण, वायवीय संहिता (पूर्व), अ 8
    ब्रह्मा विष्णोर्दिने चैको विष्णू रुद्रदिने तथा ।
    ईश्वरस्य दिने रुद्रः सदाख्यस्य तथेश्वरः ।२४।
    साक्षाच्छिवस्य तत्संख्यस्तथा सोऽपि सदाशिवः ।
    चत्वारिंशत्सहस्त्राणि पञ्चलक्षाणि चायुषि ।२५।
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    ब्रह्मा विष्णु के एक दिन पर्यन्त, विष्णु रुद्र के एक दिन पर्यन्त, रुद्र ईश्वर के एक दिन पर्यन्त और ईश्वर सत् नामक शिव के एक दिन पर्यन्त रहते हैं। यही साक्षात् शिव के लिये काल की संख्या है, उन्हें सदाशिव भी कहा जाता है। इनकी पूर्ण आयु में पूर्वोक्त क्रम से पाँच लाख चालीस हजार रुद्र हो जाते हैं ।।

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