खुल गया राज गीता का: आज देश व दुनिया में पवित्र गीता जी को मानने वाले लोग बड़ी तादाद में है क्योंकि श्रीमद्भगवद्गीता (Shrimad Bhagavad Gita) जी को हिंदू धर्म का सबसे पवित्र सदग्रंथ माना जाता है। यह ज्ञान इतना सर्वोपरि है कि हर किसी के जीवन में यह बहुत ही महत्व रखता है।
लेकिन गीता का ज्ञान जितना रहस्ययुक्त है उतना ही रहस्ययुक्त है गीता ज्ञान दाता। हिन्दू धर्म के प्रत्येक धर्मगुरुओं, शंकराचार्यओं व कथावाचकों सहित पूरे हिन्दू समाज का मानना है कि गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण ने दिया जबकि संत रामपाल जी महाराज व उनके समर्थकों का दावा है कि गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण जी में प्रेतवश प्रवेश होकर काल ने दिया।
पाठकजन, हम इस लेख में दोनों पक्षों के मध्य हुई ऐतिहासिक बहस की कुछ बातें आपके सामने रखने वाले हैं। जिसे पढ़कर आप स्वयं निर्णय लें कि किसके दावे में कितना दम है।
Table of Contents
Shrimad Bhagavad Gita का ज्ञान कब बोल गया था?
खुल गया राज गीता का: हम सभी जानते हैं कि गीता का ज्ञान उस समय बोला गया था जब महाभारत युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र के मैदान में दोनों सेनाएं आमने सामने खड़ी थीं। यानि आज से लगभग 5642 वर्ष पूर्व अर्थात कलयुग के प्रारंभ होने से 100 वर्ष पूर्व पवित्र गीता का ज्ञान बोला गया था।
खुल गया राज गीता का: गीता ज्ञान दाता कौन?
पाठकों, गीता की सत्यता को जानने के लिए हमने हिंदू धर्म के गुरुओं और महा मंडलेश्वरों से जानने का प्रयत्न किया कि कौन है गीता ज्ञान दाता?
धर्मगुरुओं के अनुसार, Bhagavad Gita का ज्ञान किसने दिया?
गीता ज्ञानदाता के विषय में चारों मठों के शंकराचार्यों जैसे स्व. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी, शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी, माधवाचार्य जी महाराज, शृंगेरी पीठाधीश्वर श्री भारती तीर्थ जी तथा इस्कॉन प्रमुख महामंत दास, गीता मनीषी कहलाने वाले ज्ञानानंद जी तथा अन्य कथावाचकों के विचार उनके सत्संगों के माध्यम से जाने। जिनका कहना है कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ने दिया। लेकिन उन्होंने अपने सत्संगों में इसका कोई प्रमाण नहीं दिया।
संत रामपाल जी के अनुसार, गीता ज्ञानदाता काल!
खुल गया राज गीता का: संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तक “हिन्दू साहेबान नहीं समझे गीता, वेद, पुराण” के अनुसार व उनके अनुयायियों के कहे अनुसार, अगर गीता जी का ज्ञान श्रीकृष्ण जी ने दिया है, तो फिर वह पुनः यह ज्ञान दुबारा अर्जुन के पूछने पर सुना क्यों नहीं पाए। जिसका प्रमाण संक्षिप्त महाभारत के पृष्ठ 800-802 पर है।
जिसमें लिखा है कि जब महाभारत युद्ध हो गया और पांडवों को राज पाट मिल गया था, तब अर्जुन जी ने श्रीकृष्ण जी से पुनः यह ज्ञान सुनाने के लिए प्रार्थना की तो कृष्ण जी ने अर्जुन को डाटा कि तुमने वह ज्ञान याद क्यों नहीं रखा, मुझे तो ज्ञात ही नहीं कि मैंने क्या ज्ञान सुनाया।
अब सोचने वाली बात है कि अगर शिक्षक को अपने बताए ज्ञान का ज्ञान न हो तो वह कैसे विद्यार्थी से उम्मीद रख सकता, क्योंकि शिक्षक को तो अपने बताए ज्ञान का तो पता होता है। इससे सिद्ध होता कि श्रीकृष्ण जी ने गीता का ज्ञान दिया ही नहीं। क्योंकि आगे इसी प्रकरण में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान सुनाया वह गीता के ज्ञान से मेल ही नहीं खाता।
Bhagavad Gita: अर्जुन ने किसे कहा सहस्त्रबाहु?
हम सभी जानते हैं कि कृष्ण जी, विष्णु अवतार थे। वह 4 भुजा और 16 कला के भगवान कहे जाते हैं इसे हर कोई मानता है। जबकि गीता अध्याय 11 श्लोक 46 में अर्जुन ने कहा कि हे सहस्रबाहो अर्थात् हजार भुजाओं वाले देव! आप अपने चतुर्भुज रूप में दर्शन दीजिए।
Shrimad Bhagavad Gita : इसके अलावा, गीता अध्याय 11 श्लोक 31 में अर्जुन ने पूछा, “मुझे बतलाइये कि आप उग्ररूपवाले कौन हैं?” पाठक! जरा विचार करें, अगर वह श्री कृष्ण थे, तो अर्जुन तो कृष्ण जी से बहुत अच्छे से परिचित था। साथ ही, अर्जुन और श्रीकृष्ण आपस में गुरु-शिष्य तथा रिश्तेदार भी थे तो फिर अर्जुन ऐसा क्यों कहा कि आप कौन हैं?
खुल गया राज गीता का: नाश करने के लिए काल हुआ प्रकट
जिसका उत्तर गीता ज्ञान दाता, गीता अध्याय 11 श्लोक 32 में देते हुए कहता है कि “लोकों का नाश करने वाला बढ़ा हुआ काल हूँ। इस समय इन लोकों को नष्ट करने के लिए प्रकट हुआ हूँ। इसलिए जो प्रतिपक्षियों की सेना में स्थित योद्धा लोग हैं, वे सब तेरे बिना भी नहीं रहेंगे अर्थात् तेरे युद्ध न करने से भी इन सबका नाश हो जायेगा।”
सोचने वाली बात है कि श्रीकृष्ण तो अर्जुन के साथ पहले से मौजूद थे जबकि गीता ज्ञानदाता इस श्लोक में कह रहा है कि लोकों का नाश करने के लिए अब प्रकट हुआ हूँ। यानि उस समय कोई और प्रकट हुआ जिसके प्रकाश के सामने श्रीकृष्ण अर्जुन को दिखाई नहीं दिए। अर्थात श्रीकृष्ण के शरीर में कोई और बोल रहा था। दूसरा, श्रीकृष्ण जी तो चाहते ही नहीं थे कि युद्ध हो, उन्होंने हमेशा शांति का संदेश दिया। तो फिर उन्होंने ही क्यों कहा कि तू नहीं भी करेगा युद्ध, तो भी मैं सबका नाश करूंगा।
यह भी पढ़ें: कबीर और श्रीकृष्ण में कौन है बड़ा?
Shrimad Bhagavad Gita : गीता अध्याय 11 श्लोक 47 में गीता बोलने वाला प्रभु कहता है कि “हे अर्जुन! अनुग्रह पूर्वक मैंने अपनी योग शक्ति के प्रभाव से यह मेरा परम तेजोमय सबका आदि और सीमारहित विराट रूप तुझको दिखलाया है, जिसे तेरे अतिरिक्त दूसरे किसी ने पहले नहीं देखा था।”
जबकि हम सभी जानते हैं कि श्रीकृष्ण जी तो अपना विराट रूप पहले ही कौरवों की सभा में दिखा चुके थे। तो फिर श्रीकृष्ण का यह बोला कि यह मेरा विराट रूप आज से पहले किसी ने नहीं देखा। तो इससे श्रीकृष्ण का कथन झूठा सिद्ध होता है जबकि हम सभी जानते हैं कि श्रीकृष्ण झूठ नहीं बोल सकते क्योंकि वे तीन लोक के भगवान हैं।
इससे सिद्ध होता है कि गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण ने नहीं बल्कि काल ने दिया यानि गीता ज्ञान दाता काल है।
खुल गया राज गीता का: Bhagavad Gita ज्ञानदाता काल कौन है?
काल, जिसको गीता अध्याय 15 श्लोक 16 में क्षर पुरुष कहा गया है। यह 21 ब्रह्मांड का प्रभु है जोकि ब्रह्मा, विष्णु व शिव शंकर का पिता और दुर्गा का पति है। जिसका प्रमाण है श्रीमद्देवीभागवत तीसरा स्कन्ध अध्याय 4-5, शिवपुराण रुद्रसंहिता अध्याय 6-7, शिवपुराण विद्येश्वर संहिता अध्याय 9-10, श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 14 श्लोक 3-5 में प्रमाण है।
इसी विषय में श्रीमद्देवीभागवत सातवें स्कन्ध अध्याय 36 में देवी जी स्वयं बता रही हैं कि “ओम के जाप से ब्रह्म को पा जाओगे। वह ब्रह्म ब्रह्मलोक रूप दिव्य आकाश में स्थित है। तथा श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 8 श्लोक 13 में गीता ज्ञान दाता काल स्वयं स्पष्ट करता है कि मुझ ब्रह्म का ओम मंत्र है।
निष्कर्ष
इस लेख से स्पष्ट होता है कि पवित्र गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण ने नहीं बोला बल्कि श्रीकृष्ण के शरीर में प्रेतवश प्रवेश करके काल ब्रह्म ने बोला था। जिससे धर्मगुरुओं सहित पूरा हिन्दू समाज अनभिज्ञ है जबकि संत रामपाल जी महाराज व उनके अनुयायियों का दावा सत्य सिद्ध होता है। प्रमाण सहित ऐसे ही तुलनात्मक ज्ञान को जानने के लिए Factful Debates Youtube Channel देखिए।
FAQ on the Shrimad Bhagavad Gita in hindi
गीता में किसने कितने श्लोक कहे हैं?
वेदों के संक्षिप्त रूप पवित्र श्रीमद्भगवद्गीता (Shrimad Bhagvad Gita) में 18 अध्याय हैं जिसमें कुल 700 श्लोक हैं। इन 700 श्लोकों में 574 श्लोक श्रीकृष्ण में प्रवेश करके काल ब्रह्म ने बोले, 84 श्लोक अर्जुन ने, 41 श्लोक संजय ने और एक श्लोक धृतराष्ट्र ने बोला था।
गीता का ज्ञान किसने किसको और कब दिया था?
गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण में भूत की तरह प्रवेश होकर काल ब्रह्म ने अर्जुन को आज से लगभग 5642 वर्ष पूर्व दिया था।
गीता के लेखक कौन थे?
महर्षि वेदव्यास (कृष्णद्वैपायन)
गीता का पूरा नाम क्या है?
श्रीमद्भगवद्गीता
गीता बोलने वाला कौन है?
काल ब्रह्म ने श्रीकृष्ण के शरीर में प्रवेश करके बोला।