Does God Exist Debate : सभी मानव की अवधारणा है कि भगवान तो निराकार है उसे देखा नहीं जा सकता बल्कि भगवान को मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारा व चर्च में जाने से ही प्राप्त किया जा सकता है। वही अब तक के सभी धर्मगुरुओं, कथावाचकों ने भी यही बताया कि भगवान निराकार है, उसका कोई स्वरूप नहीं है, उसे देखा नहीं जा सकता है।
वही कथावाचक अनिरुद्धाचार्य जी का कहना है कि परमात्मा साकार भी है और निराकार भी है। जबकि संत रामपाल जी महाराज का कहना है कि परमात्मा मानव सदृश्य साकार है, उसे देखा जा सकता है। तो इस लेख में अनिरुद्धाचार्य जी बनाम संत रामपाल जी महाराज (Aniruddhacharya Ji vs Sant Rampal Ji) के माध्यम से हम जानेंगे वास्तव में परमात्मा का स्वरूप कैसा है, साकार है या निराकार?
इस लेख में हम निम्न बिंदुओं को जानेंगे:
- अनिरुद्धाचार्य जी बनाम संत रामपाल जी के अनुसार भगवान कैसा है?
- वेदों में भगवान का स्वरूप
- परमात्मा राजा के समान दर्शनीय है – ऋग्वेद
- भगवान कहाँ रहता है?
- क्या किसी ने भगवान को देखा है?
Does God Exist Debate : भगवान कैसा है?
कथावाचक अनिरुद्धाचार्य जी अपने प्रवचनों में कहते हैं कि भगवान साकार भी है और निराकार भी है। जैसे राम जी साकार हैं और वह परमात्मा परब्रह्म निराकार है।
जबकि संत रामपाल जी महाराज जी कहते हैं कि वेदों में लिखा है कि सर्वोत्पादक प्रभु यानि सब की उत्पत्ति करने वाले परमेश्वर का तेजोमय स्वरूप है। वह राजेव अर्थात राजा के समान दर्शनीय है यानि वह साकार है।
तो चलिए वेदों से जानते हैं कि अनिरुद्धाचार्य जी की बात सत्य है या संत रामपाल जी महाराज की।
Does God Exist Debate : वेदों में भगवान का स्वरूप
- यजुर्वेद अध्याय 1 मंत्र 15 : ‘अग्ने: तनु: असि’ अर्थात परमेश्वर सहशरीर है।
- यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 1 : (अग्नेः) सर्व ऊर्जा स्रोत परमेश्वर का (तनूः) शरीर (असि) है अर्थात् परमेश्वर आकार में है। (त्वा) उस अग्नि रूप (विष्णवे) पूर्ण पालन कर्ता (सोमस्य) सत्यपुरुष का (तनूः) शरीर (असि) है।
- यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 6, 8 : परमात्मा आपका शरीर है।
- यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39 : परमात्मा मनुष्य के समान है।
- ऋग्वेद मण्डल 1 सूक्त 31 मंत्र 17 : मनुष्य के समान परमात्मा।
परमात्मा राजा के समान दर्शनीय है – ऋग्वेद
Does God Exist Debate : शंकरचार्यों से लेकर कथावाचक अनिरुद्धाचार्य तक सभी परमात्मा को निराकार बताते हैं लेकिन संत रामपाल जी महाराज ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मन्त्र 1-2 से बताते हैं कि इस मंत्र में लिखा है कि “सर्व की उत्पत्ति करने वाला परमात्मा तेजोमय शरीर युक्त है, पापों को नाश करने वाला और सुखों की वर्षा करने वाला अर्थात् सुखों की झड़ी लगाने वाला है, वह ऊपर सत्यलोक (सतलोक) में सिंहासन पर बैठा है जो देखने में राजा के समान है अर्थात परमात्मा साकार है। उसका नाम कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर है।”
यही प्रमाण सूक्ष्मवेद में भी है :-
अर्श कुर्श पर सफेद गुमट है, जहाँ परमेश्वर का डेरा।
श्वेत छत्र सिर मुकुट विराजे, देखत न उस चेहरे नूं।।
इसी का प्रमाण कबीर सागर के अध्याय ज्ञान प्रकाश के पृष्ठ 58-59 में भी है जिसमें स्पष्ट किया गया है कि सतपुरुष (सत्यपुरुष) अर्थात पूर्ण परमात्मा मनुष्य के स्वरूप में विद्यमान है। उनके शरीर का प्रकाश करोड़ सूर्य और इतने ही चंद्रमा के प्रकाश से भी अधिक है।
यह भी पढ़ें : श्रीकृष्ण या कबीर जी, किस प्रभु की भक्ति से हो सकते हैं पाप नाश?
Does God Exist Debate : भगवान कहाँ रहता है?
विभिन्न धर्मगुरुओं ने भगवान को निराकार बताया है और इसी बात को अनिरुध्याचार्य जी ने भी स्वीकार किया है। लेकिन अनिरुद्धाचार्य जी भगवान को साकार भी मानते हैं। जिससे भक्त समाज आज भी भ्रमित है कि वास्तव में परमात्मा कैसा है?
जबकि संत रामपाल जी महाराज जी ने वेदों से प्रमाणित करके बताया है कि ऋग्वेद मंडल नं. 9 सूक्त 86 के मंत्र 26 में लिखा है कि धार्मिक अनुष्ठान करने वाले भक्तों के लिए परमात्मा सब रास्तों को सुगम करता हुआ अर्थात् उनके जीवन रूपी मार्ग को दुःखों रहित करके सुगम बनाता हुआ। उनके विघ्नों अर्थात् संकटों को समाप्त करता है तथा भक्तों को पवित्र अर्थात् पाप रहित, विकार रहित करता है।
Does God Exist Debate : साथ ही, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मन्त्र 27 में लिखा है कि जो परमात्मा द्यूलोक अर्थात् सत्यलोक (सतलोक) के तीसरे पृष्ठ पर विराजमान है, वहाँ पर परमात्मा के शरीर का प्रकाश बहुत अधिक है। इसलिए वह परमात्मा अपने रूप (शरीर) के प्रकाश को सरल करता हुआ, वहाँ से बिजली की गति से चलकर आता है, श्रेष्ठ पुरूषों को मिलता है। इस मंत्र में यह भी स्पष्ट है कि उस परमात्मा का नाम कविः अर्थात् कविर्देव (कबीर साहेब) है।
वेदों के उपरोक्त प्रमाणों से सिद्ध होता है कि पवित्र वेद इस बात को प्रमाणित करते हैं कि भगवान मनुष्य स्वरूप में है और वह सतलोक में राजा के समान सिंहासन पर विराजमान है।
Does God Exist Debate : क्या किसी ने भगवान को देखा है?
ऋग्वेद मंडल नं. 9 सूक्त 86 के मंत्र नं. 26-27 में जैसा कहा गया है कि वह परमात्मा दृढ़ भक्तों अर्थात महापुरुषों को मिलता है। तो उन्हीं महापुरुषों में धनी धर्मदास जी, नानक जी, दादू साहेब जी, मलूक दास जी, संत गरीबदास जी (गाँव छुड़ानी, जिला झज्जर, हरियाणा), घीसा दास जी (गाँव खेखड़ा, जिला बागपत, उत्तर प्रदेश), नामदेव जी आदि शामिल हैं। जिन्हें परमात्मा सतलोक से आकर मिले।
- आदरणीय धर्मदास साहेब जी (बांधवगढ़, मध्यप्रदेश) को पूर्ण परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मथुरा में मिले और सतलोक दिखाया। उन्होंने अपनी वाणी में बोला है:
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर।।
सत्यलोक से चलकर आए, काटन जम की जंजीर।।1।।
थारे दर्शन से म्हारे पाप कटत हैं, निर्मल होवै जी शरीर।।2।।
अमृत भोजन म्हारे सतगुरु जीमैं, शब्द दूध की खीर।।3।।
हिंदू के तुम देव कहाये, मुस्लमान के पीर।।4।।
दोनों दीन का झगड़ा छिड़ गया, टोहे ना पाये शरीर।।5।।
धर्मदास की अर्ज गोंसाई, बेड़ा लंघाईयो परले तीर।।6।।
– धर्मदास जी
- आदरणीय दादू साहेब जी को पूर्ण परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मिले तथा सतलोक ले गए। जिससे दादू साहेब जी तीन दिन तक बेहोश रहे। होश में आने के बाद उन्होंने बताया :
जिन मोंकु निज नाम दिया, सोइ सतगुरु हमार।
दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सृजन हार।।
दादू नाम कबीर की, जै कोई लेवे ओट।
उनको कबहू लागे नहीं, काल बज्र की चोट।।
– दादू साहेब जी
- आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज गाँव छुड़ानी, जिला – झज्जर, हरियाणा वाले को परमेश्वर कबीर जी जिंदा महात्मा के रूप फाल्गुन सुदी द्वादशी को सन् 1727 में मिले। उनकी आत्मा को अपने साथ सतलोक लेकर गए, सर्व लोकों व सर्व देवताओं को दिखाया। तब उन्होंने बताया कि
हमरै ही उनिहारि है, हमरा सिरजनहार।
गरीबदास बिधि भेद सुन, उघरै मुक्ति द्वार।।
गरीब, हम सुलतानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया।
जाति जुलाहा भेद ना पाया, काशी मांहे कबीर हुआ।।
गरीब, अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड का, एक रति नहीं भार।
सतगुरू पुरूष कबीर हैं, कुल के सिरजनहार।।
– संत गरीब दास जी
- परमात्मा कबीर जी संत नानक देव जी को सुल्तानपुर शहर के पास बह रही बेई नदी पर मिले जहाँ गुरुद्वारा “सच्चखण्ड साहेब” यादगार रूप में बना है। उन्होंने अपनी वाणी में कहा है:
यक अर्ज गुफतम पेश तो दर कून करतार।
हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदिगार।।
नानक देव जी
निष्कर्ष
वेदों के उपरोक्त प्रमाणों से यह सिद्ध होता है:
- अनिरुद्धाचार्य जी को वेद ज्ञान नहीं है अन्यथा वे वेद विरुद्ध ज्ञान अपने श्रोताओं व अनुयायियों को नहीं बताते।
- परमात्मा साकार है, मनुष्य सदृश्य है, सतलोक में राजा के समान सिंहासन पर विराजमान है। उसका नाम कविर्देव अर्थात कबीर साहेब है।
- वेदों अनुसार परमात्मा के स्वरूप की सही जानकारी संत रामपाल जी महाराज जी बता रहे हैं।
अतः नकली और असली संत की पहचान तथा परमात्मा की सही जानकारी जानने के लिए Factful Debates YouTube Channel देखें या Sant Rampal JI Maharaj App डाउनलोड करें।
Pingback: क्या शिव अविनाशी हैं (is Lord Shiva immortal) या कोई और भगवान?
तिष्ठति पुनानः भुवनः उपरि सोमः देवः (ऋ 9.54.3)
सोम स्वरूप परमात्मा, दिव्य लोकों के ऊपर विराजमान होकर पवित्र करता है .
.
सोमः अरुषः वृषा हरिः राजेव दस्मः (ऋ 9.82.1)
ज्ञान वर्षा करने वाले परमेश्वर का रूप राजा के समान दर्शनीय है .
.
अधि द्याम् अस्थात् वृषभः विचक्षणः (ऋ 9.85.9)
बलवान व सर्व द्रष्टा अधिष्ठाता परमेश्वर दिव्यलोक में ठहरा है .
.
तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजम् अनु राजति स्तुप् (ऋ 9.96.18)
तीसरे मुक्ति धाम की दृढ़ भूमि को स्थापित करके उसके पश्चात्, वह सन्त रूपी परमात्मा गुंबज में विराजमान होकर सुशोभित है .