Sant Rampal Ji Haldwani Controversy: हिमांशु जोशी द्वारा सांप्रदायिक उन्माद और हिंसा की साजिश

Sant Rampal Ji Haldwani Controversy: हिमांशु जोशी द्वारा सांप्रदायिक उन्माद और हिंसा की साजिश

Sant Rampal Ji Haldwani Controversy: उत्तराखंड के हल्द्वानी में एक घटना ने स्थानीय समुदाय और संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों को गहरे आक्रोश में ला दिया है। संत रामपाल जी के नाम दीक्षा केंद्र के बाहर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा नारेबाजी, गाली-गलौज, धमकियां देने और पवित्र ग्रंथों को जलाने की घटना ने न केवल स्थानीय भक्तों को आहत किया, बल्कि सामाजिक सौहार्द पर भी सवाल उठाए हैं।

इस घटना के केंद्र में हिमांशु जोशी नामक व्यक्ति है, जिसे भक्तों ने सांप्रदायिक उन्मादी और उपद्रवी करार दिया है। उनके अनुसार, हिमांशु ने संत रामपाल जी और उनके अनुयायियों पर झूठे आरोप लगाकर समाज में नफरत और अशांति फैलाने की कोशिश की है।

Haldwani Mein Sant Rampal Ji Supporters Par Attack

हल्द्वानी (Haldwani) में संत रामपाल जी महाराज के दीक्षा केंद्र के बाहर कुछ असामाजिक तत्वों ने हंगामा किया, नारेबाजी की, अपशब्दों का इस्तेमाल किया, धमकी दी और उनकी पुस्तकों को फाड़कर आग के हवाले कर दिया। इस घटना के पीछे मुख्य रूप से हिमांशु जोशी नामक व्यक्ति का हाथ बताया जा रहा है, जिसे सांप्रदायिक उन्माद फैलाने वाला और समाज में अशांति पैदा करने वाला व्यक्ति माना गया है। 

Sant Rampal Ji Haldwani Controversy: उसका मकसद संत रामपाल जी के खिलाफ लोगों को भड़काना, हिंदू-मुस्लिम विवाद को हवा देना और व्यक्तिगत स्वार्थ साधना था। हिमांशु की फेसबुक प्रोफाइल पर मौजूद भड़काऊ पोस्ट्स, जो धार्मिक तनाव को बढ़ावा देती हैं, इस बात का प्रमाण हैं। वह खुद को हिंदू धर्म का रक्षक साबित करने की कोशिश करता है, लेकिन उसके कृत्य उसे एक सड़कछाप गुंडे के रूप में उजागर करते हैं।

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Sant Rampal Ji Haldwani Controversy: एक वायरल वीडियो में हिमांशु जोशी एक शाकाहारी बिरयानी बेचने वाले दुकानदार से उलझता नजर आता है। दुकान पर “शुभ दीपावली” और “ओम” लिखा होने पर उसने आपत्ति जताई और दुकानदार को धमकाने की कोशिश की। उसने दुकानदार से उसका धर्म पूछा, खाद्य लाइसेंस की मांग की और यह तक कहा कि वह उसके हाथ का खाना नहीं खाएगा। यह व्यवहार साफ तौर पर उसकी सांप्रदायिक मानसिकता को दर्शाता है। एक अन्य वीडियो में हिमांशु के गुरु, स्वामी दर्शन भारती, सिगरेट पीते दिखाई देते हैं, जिससे उनके चरित्र पर सवाल उठते हैं। जब गुरु का यह आचरण है, तो उनके अनुयायी की नैतिकता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

संत रामपाल जी का मिशन और उनके अनुयायियों का दृष्टिकोण

Sant Rampal Ji Haldwani Controversy: संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी उन्हें एक समाज सुधारक और आध्यात्मिक गुरु के रूप में देखते हैं। उनके अनुसार, संत रामपाल जी ने वेदों और श्रीमद्भगवद्गीता का सटीक अनुवाद कर पांचवें वेद का रहस्य उजागर किया है। वे नशामुक्ति, दहेजमुक्त विवाह, शाकाहारी जीवनशैली और जातिगत भेदभाव को खत्म करने जैसे सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देते हैं। भक्तों का कहना है कि उनकी पुस्तकें, जैसे ज्ञान गंगा, शास्त्रों पर आधारित हैं और कबीर सागर, चारों वेद, गीता, शिव महापुराण, मत्स्य पुराण और देवी भागवत पुराण जैसे ग्रंथों से प्रमाणित हैं।

हिमांशु जोशी ने संत रामपाल जी की पुस्तक ज्ञान गंगा में लिखे कुछ बिंदुओं पर आपत्ति जताई, जो निम्न हैं:

  1. ब्रह्मा ने गायत्री और पुहुपवती के साथ संभोग किया।
  2. विष्णु ने तुलसी के साथ संभोग किया।
  3. शिव ने मोहिनी रूप देखकर वीर्यपात किया।
  4. ब्रह्मा ने अपनी पुत्री सरस्वती के साथ संभोग किया।

Sant Rampal Ji Haldwani Controversy: भक्तों का कहना है कि ये सभी प्रकरण शास्त्रों में मौजूद हैं, जिन्हें संत रामपाल जी ने उजागर किया। उदाहरण के लिए,

  • श्रीमद्भागवत सुधासागर, स्कन्ध 3, अ. 12, श्लोक 28-33 तथा मत्स्य पुराण, अध्याय 3, श्लोक 30-45, पृष्ठ 22 में ब्रह्मा द्वारा अपनी पुत्री सरस्वती के प्रति काम-मोहित होने का उल्लेख है।
  • देवी भागवत पुराण, नवम स्कंध, पृष्ठ 726-727 तथा शिवपुराण, रुद्रसंहिता युद्ध खंड, पृष्ठ 402 में विष्णु द्वारा शंखचूड़ की पतिव्रता पत्नी तुलसी के पतिव्रता धर्म को भंग करने की घटना का जिक्र है। 
  • श्रीमद्भागवत महापुराण, स्कन्ध 8 अध्याय 12 श्लोक 26-32 में शिव के मोहिनी रूप को देखकर वीर्यपात की घटना का वर्णन है। 
  • कबीर सागर, अध्याय अनुराग सागर, पृष्ठ 34-36 में ब्रह्मा ने काल के दर्शन की झूठी गवाही देने के लिए गायत्री और पुहुपवती के साथ संभोग किया। इसके परिणामस्वरूप, दुर्गा ने गायत्री को गाय और पुहुपवती को गंदे स्थान पर उगने वाली जड़ी-बूटी बनने का श्राप दिया, का विवरण है।

भक्तों का तर्क है कि संत रामपाल जी ने इन ग्रंथों की सच्चाई को सामने लाकर पाखंड और अंधविश्वास को चुनौती दी है, जो कुछ लोगों के लिए असहज है।

Haldwani Mein Sant Rampal Ji Ke Supporters Ka Gussa Kyun

संत रामपाल जी के अनुयायियों में हिमांशु जोशी के खिलाफ गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि हिमांशु ने उनकी आस्था पर हमला किया और उनके गुरु जी को बदनाम करने की साजिश रची। भक्तों ने हिमांशु जोशी पर अवैध उगाही और फर्जी संगठन संचालित करने के गंभीर आरोप हैं। उसके खिलाफ दर्ज FIR में IPC की धारा 7, धारा 126 और धारा 191(2) के तहत कार्रवाई की गई है। ये तथ्य साबित करते हैं कि वह एक कानून तोड़ने वाला व्यक्ति है, जो सनातन धर्म के नाम पर समाज में वैमनस्य और अशांति फैलाने का काम करता है। वे मांग कर रहे हैं कि हिमांशु के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो और साथ ही, उनके द्वारा उसे शास्त्रों के आधार पर खुली ज्ञान चर्चा की चुनौती भी दी गई है।

HaldwaniSant Rampal Ji Haldwani Controversy: भक्तों का यह भी कहना है कि संत रामपाल जी का मिशन सामाजिक समरसता और शांति का संदेश देता है, जबकि हिमांशु जैसे लोग सनातन धर्म के नाम पर समाज को बांटने का काम कर रहे हैं। उनके आश्रमों में निःशुल्क भंडारे, दहेजमुक्त विवाह और सामाजिक कार्य होते हैं, जो प्रशासनिक अनुमति के साथ संचालित होते हैं। ऐसे में, हिमांशु के आरोपों को भक्त निराधार और दुर्भावनापूर्ण मानते हैं।

सनातन धर्म और शास्त्रों की सच्चाई

Sant Rampal Ji Haldwani Controversy: संत रामपाल जी के अनुयायी मानते हैं कि सनातन धर्म का असली मतलब शास्त्रों का सही ज्ञान और उसका पालन है, न कि उग्रवाद या सांप्रदायिकता। वे कहते हैं कि हिमांशु जोशी जैसे लोग शास्त्रों को पढ़े बिना संत रामपाल जी पर झूठे आरोप लगाते हैं। अगर हिमांशु सच्चे सनातनी हैं, तो उन्हें उन पुराणों को जलाना चाहिए, जिनमें ये प्रकरण लिखे हैं, न कि संत रामपाल जी की पुस्तकों को, जो इन शास्त्रों की सच्चाई को उजागर करती हैं।

Sant Rampal Ji Haldwani Controversy: निष्कर्ष

हल्द्वानी (Haldwani) की इस घटना ने एक बार फिर धार्मिक उन्माद और सामाजिक सौहार्द के बीच टकराव को उजागर किया है। संत रामपाल जी के अनुयायी इसे अपने गुरु और उनकी शिक्षाओं पर हमला मानते हैं, जबकि हिमांशु जोशी के कृत्यों को समाज में अशांति फैलाने की साजिश के रूप में देखते हैं। इस मामले में कानूनी कार्रवाई और शास्त्रों पर आधारित खुली चर्चा की मांग तेज हो रही है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या सनातन धर्म के नाम पर नफरत फैलाना उचित है, या हमें शास्त्रों के सत्य को समझकर समाज में एकता और शांति का मार्ग अपनाना चाहिए।

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