Devkinandan Exposed | पाप नाश कैसे होंगे? देवकीनंदन के झूठ का सबसे बड़ा खुलासा!

Devkinandan Exposed | पाप नाश कैसे होंगे? देवकीनंदन के झूठ का सबसे बड़ा खुलासा!

Devkinandan Exposed: आज के समय में आध्यात्मिक क्षेत्र में भ्रम और अज्ञान का बोलबाला है। लाखों कथावाचक बिना शास्त्रीय आधार के जनता को गुमराह कर रहे हैं। विशेष रूप से पाप नाश जैसे गंभीर विषय पर झूठी बातें प्रचलित हैं। 

इस लेख में हम एक प्रसिद्ध कथावाचक, देवकीनंदन ठाकुर जी के दावों का विश्लेषण करेंगे और संत रामपाल जी महाराज के शास्त्र-सम्मत तत्वज्ञान के आधार पर सत्य उजागर करेंगे। यह लेख दो भागों में विभाजित है: पहले भाग में कथावाचकों के झूठ का पर्दाफाश और दूसरे भाग में शास्त्रों के आधार पर पाप नाश का सत्य।

Devkinandan Exposed: झूठ के सरदार का पर्दाफाश

आज के दौर में कथावाचकों द्वारा झूठ का व्यापार जोरों पर है। हिंदू समाज इनके झूठ को लाखों-करोड़ों रुपये देकर खरीद रहा है और अपना जीवन बर्बाद कर रहा है। आइए, विशेष रूप से देवकीनंदन ठाकुर जी के दावों की जांच करें, जो वे अपनी कथाओं में पाप नाश के लिए करते हैं।

देवकीनंदन जी के दावे और विरोधाभास

  • पार्थिव शिवलिंग से पाप नाश: देवकीनंदन जी कहते हैं, “जिन-जिन पापों को याद करके पार्थिव शिवलिंग बनाओगे, वे पाप उसी शिवलिंग के साथ जलकर भस्म हो जाएंगे।”
  • शिवलिंग पर जल चढ़ाने से पाप नाश: “मात्र एक लोटा जल शिवलिंग पर चढ़ाते रहो, मैं वादा करता हूँ, तुम्हें अपने किसी पाप का जवाब नहीं देना होगा।”
  • कर्मों का फल भोगना अनिवार्य: “आप जैसा कर्म करेंगे, उसका फल हर हाल में भोगना पड़ेगा। कोई आपको बचा नहीं सकता। शास्त्र कहते हैं, कर्म का फल भोगना ही पड़ेगा।”
  • पापमोचनी एकादशी से पाप नाश: “चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की पापमोचनी एकादशी बड़े-बड़े पापों का नाश करती है। ब्रह्मा जी ने नारद को बताया कि इससे बड़े-बड़े शाप भी मुक्त हो जाते हैं।”
  • ओम नमः शिवाय से पाप नाश: “ओम नमः शिवाय का जाप करने से इतने पाप नष्ट हो जाते हैं कि आप उतने पाप कर ही नहीं सकते।”
  • पापों को सहन करने की सलाह: “जब पापों का फल मिले, तो सह लो। सोचो कि प्रारब्ध कट रहा है। बुखार आए तो दुनिया को फोन करने की जरूरत नहीं, सह लो।”

Devkinandan Exposed: विरोधाभास और शास्त्रीय जाँच

देवकीनंदन जी के ये दावे परस्पर विरोधी हैं। एक तरफ वे कहते हैं कि शिवलिंग पूजा, एकादशी व्रत या ओम नमः शिवाय से पाप नष्ट हो जाते हैं, वहीं दूसरी तरफ कहते हैं कि कर्मों का फल भोगना ही पड़ेगा। हमने इन दावों की पुष्टि के लिए वेदों और श्रीमद्भगवद्गीता का अध्ययन किया, लेकिन इनमें पार्थिव शिवलिंग, जल चढ़ाने या पापमोचनी एकादशी से पाप नाश का कोई प्रमाण नहीं मिला। बल्कि गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 स्पष्ट करता है कि शास्त्र-विरुद्ध आचरण से न सिद्धि मिलती है, न सुख, न मोक्ष।

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इन विरोधाभासों से सिद्ध होता है कि देवकीनंदन जी शास्त्र-विरुद्ध ज्ञान देकर भक्तों को गुमराह कर रहे हैं। उनके दावों में सत्यता नहीं है और यह भक्त समाज के साथ धोखा है।

Devkinandan Exposed: शास्त्र-विरुद्ध भक्ति का खंडन

  1. श्रीमद्देवीभागवत स्कंध 3 अध्याय 4-5 में विष्णु और शिव स्वीकार करते हैं कि वे नाशवान हैं और उनकी माता दुर्गा है। वे किसी के कर्मों में परिवर्तन नहीं कर सकते अर्थात पाप नष्ट नहीं कर सकते। रावण ने शिवलिंग की पूजा की, फिर भी सीता हरण का पाप भोगा।
  2. गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में व्रत के लिए मना किया गया है और देवकीनंदन पापमोचनी एकादशी व्रत से पाप नाश बता रहे हैं। 

यानी देवकीनंदन द्वारा बताई गई प्रत्येक क्रिया या भक्ति शास्त्र विरुद्ध है जिसका खंडन गीता, वेद, पुराण कर रहे हैं।

Devkinandan Exposed: पाप नाश का शास्त्र-सम्मत सत्य

संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान और शास्त्रों के आधार पर अब हम पाप नाश का वास्तविक मार्ग जानेंगे। शास्त्रों में पाप नाश का प्रमाण

  • यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में छह बार उल्लेख है कि पूर्ण परमात्मा साधक के घोर पापों का भी नाश कर देता है। यह मंत्र कहता है कि पूर्ण ब्रह्म साधारण व्यक्ति, संत, ऋषि, पिता, शिक्षित या अशिक्षित के पापों को क्षमा करता है, यदि वे शास्त्रानुकूल सतभक्ति करते हैं।
  • यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में स्पष्ट है कि यह पूर्ण परमात्मा कबीर देव हैं, जो पापों का शत्रु, कर्म बंधन काटने वाला और सतलोक का स्वामी है।

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कबीर परमेश्वर स्वयं भी कहते हैं:

कबीर, जबही सत्यनाम हृदय धर्यो,भयो पाप को नाश।

मानों चिनगी अग्नि की, पड़ी पुराने घास।।

अर्थात, पूर्ण गुरु से सतनाम प्राप्त कर मर्यादा में भक्ति करने से पाप नष्ट हो जाते हैं, जैसे आग की छोटी सी चिंगारी सूखे घास के ढेर को भस्म कर देती है।

सच्चे सतगुरु का महत्व

Devkinandan Exposed: संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि सच्चा सतगुरु शास्त्रानुकूल मंत्र देता है, जो पापों को नष्ट करता है। संत गरीबदास जी ने कहा है:

गुरुवाँ गाम बिगाड़े संतो, गुरुवाँ गाम बिगाड़े।

ऐसे कर्म जीव के लाये, बहुर झड़ैं नहीं झाड़े।।

अर्थात, तत्वज्ञानहीन गुरु शास्त्र-विरुद्ध भक्ति करवाकर जीवों का जीवन नष्ट करते हैं। सच्चा सतगुरु ही सतनाम देता है, जो पाप नष्ट करता है। 

Devkinandan Exposed: सतभक्ति से पाप नाश

संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, केवल कबीर साहिब की शास्त्रानुकूल सतभक्ति से पाप नष्ट होते हैं। वे बताते हैं कि धर्मराज के दरबार में प्राणी के पाप-पुण्य का हिसाब होता है, लेकिन पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब की शरण में आने से सारे पाप क्षमा हो जाते हैं। सूक्ष्म वेद में कबीर साहिब कहते हैं:

गरीब, धर्मराय दरबार में, दइ कबीर तलाक। भूले चूके हंस कूँ, पकड़ियो मत कजाक।।

गरीब, पहले किये वो बख्श हूँ, आगे करे न कोई। कबीर कह धर्मराय से, नाम रटैं मम सोई।।

गरीब, कर्म भ्रम ब्रह्मंड के, पल में कर हूँ नेश। जिन हमरी दोही दई, सो करो हमारे पेश।।

निष्कर्ष

देवकीनंदन ठाकुर जी जैसे कथावाचक शास्त्र-विरुद्ध ज्ञान देकर जनता को गुमराह कर रहे हैं। उनके दावे – शिवलिंग पूजा, पापमोचनी एकादशी और ओम नमः शिवाय से पाप नाश वेदों और गीता में प्रमाणित नहीं हैं। इसके विपरीत, संत रामपाल जी महाराज ने वेद, गीता, कबीर सागर और अन्य ग्रंथों से सिद्ध किया कि कबीर साहिब ही पूर्ण परमात्मा हैं, जिनकी सतभक्ति से घोर पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
प्रिय पाठकों, शास्त्रों का अध्ययन करें और संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान को अपनाएँ। सच्ची भक्ति से पाप नाश और पूर्ण मोक्ष संभव है। अधिक जानकारी के लिए Factful Debates यूट्यूब चैनल देखें और सत्य मार्ग पर चलें।

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