All Fake Babas Exposed | कथावाचकों के भ्रामक दावों का सच

All Fake Babas Exposed | पाखंडी बाबाओं, झूठ से बाज आ जाओ, शर्म करो, शर्म करो!

All Fake Babas Exposed | आज के समय में आध्यात्मिक क्षेत्र में भ्रम और अज्ञान का बोलबाला है, जहां लाखों कथावाचक बिना शास्त्रीय ज्ञान के जनता को गुमराह कर रहे हैं। भगवान शिव के पिता, राधा-कृष्ण के संबंध और त्रिदेव की उत्पत्ति जैसे विषयों पर कथावाचकों के परस्पर विरोधी और शास्त्र-विरुद्ध बयान भक्तों में भ्रम पैदा कर रहे हैं। कोई शिव को अविनाशी कहता है, तो कोई ब्रह्मा को उनके पिता बताता है, जबकि अन्य शिव जी को स्वयंभू या पूर्ण ब्रह्म होने का दावा करते हैं। 

ऐसे में संत रामपाल जी महाराज एकमात्र तत्वदर्शी संत के रूप में उभरते हैं, जो श्रीमद्देवीभागवत, शिवपुराण और गीता जैसे शास्त्रों के प्रमाणों के साथ सत्य को उजागर करते हैं। वे स्पष्ट करते हैं कि ब्रह्मा, विष्णु, शिव की उत्पत्ति काल ब्रह्म और दुर्गा से हुई और कबीर परमात्मा ही सर्व सृष्टि के रचनहार हैं। 

इस लेख में, हम कथावाचकों (All Fake Babas Exposed) के अज्ञान और संत रामपाल जी के तत्वज्ञान के बीच तुलना करेंगे, ताकि पाठक शास्त्र-सम्मत सत्य को समझ सकें और भ्रांतियों से मुक्त होकर सच्चे आध्यात्मिक मार्ग पर चल सकें।

  • भगवान शिव के पिता और राधा-कृष्ण के संबंधों पर भ्रमित कर रहे हैं नकली कथावाचक।
  • लाखों कथावाचक, लेकिन उन्हें शास्त्रों का रति भर भी ज्ञान नहीं है।
  • संत रामपाल जी ने देवीपुराण और शिवपुराण से सिद्ध किया कि ‘ब्रह्मा-विष्णु-शिव के माता-पिता दुर्गा व काल ब्रह्म हैं।’
  • कबीर जी हैं समर्थ भगवान; जिन्होंने रचा सर्व ब्रह्मांडों को। – संत रामपाल जी
  1. बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री जी: शिव जी अविनाशी हैं तथा शिव और विष्णु जी एक ही हैं। शिव के पिता मंगल हैं। 
  2. अनिरुद्धाचार्य जी: शिव के पिता ब्रह्मा हैं। विष्णु (नारायण) अजन्मा हैं। 
  3. पंडित प्रदीप मिश्रा: ब्रह्मा के पिता विष्णु जी और विष्णु के पिता शंकर हैं। शंकर जी अजन्मा हैं।
  4. आचार्य प्रशांत: शिव का शरीर नहीं है। वे जन्म-मृत्यु से परे हैं।
  5. जग्गी वासुदेव उर्फ सद्गुरु जी: शिव जी स्वयंभू हैं, उनके कोई माता-पिता नहीं हैं।
  6. श्री श्री रविशंकर जी: लोग शास्त्र नहीं जानते, शिव का कोई रूप नहीं है। शिव ने भक्तों को आधा शिव और आधा विष्णु के रूप में दर्शन दिया।
  7. गिरी बापू जी: जगत की रचना भगवान शिव ने की, हमारे जन्मदाता भगवान शिव हैं।
  8. देवकीनंदन ठाकुर: श्रीकृष्ण हमारे पति हैं, शिव और पार्वती जी हमारे माता-पिता हैं।
  9. अमोघ लीला प्रभु: शिव जी अजन्मा हैं।
  10. मुरारी बापू: शिव सभी का बाप है।
  11. कृपालु जी महाराज: पुराणों ने शंकर जी को पूर्ण ब्रह्म माना है, वेदों ने भी माना है।
  12. प्रशांत मुकुंद प्रभु: शिव जी देवताओं की कैटेगरी में नहीं आते।
  13. प्रेमानन्द जी महाराज: शिव जी सर्वज्ञ हैं।
  14. जया किशोरी: “हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे” मंत्र से भगवान मिल जाएंगे और फिर कहती हैं कि मैं तो ॐ और ॐ नमः शिवाय का जाप करती हूँ।

All Fake Babas Exposed: अनिरुद्धाचार्य जी ने राधा नाम को सिद्ध करने के लिए श्रीमद्भागवत-महापुराण (प्रथम खंड), स्कन्ध-8, अध्याय-10, श्लोक-40 का अर्थ का अनर्थ किया। जबकि इस श्लोक में लिखा है:

कबन्धास्तत्र चोत्पेतुः पतितस्वशिरोऽक्षिभिः। 

उद्यतायुधदोर्दण्डैराधावन्तो भटान् मृधे।।

संधि विच्छेद: तत्न कबन्धाः उत्पेतुः, पतित स्व शिरः अक्षिभिः। उद्यत आयुध दोर्दण्डैः, आधावन्तः भटान् मृधे। 

भावार्थ: युद्धभूमि में ऐसे धड़ (कबन्ध) देखे गए, जिनके सिर गिर चुके थे, लेकिन वे अब भी आँखों से भयावह रूप से चमक रहे थे। वे अपनी भुजाओं में शस्त्र उठाए हुए थे और उन सैनिकों की ओर दौड़ रहे थे जो युद्ध कर रहे थे।

पाठकों, आप स्वयं इस श्लोक तथा संधि विच्छेद को देख सकते हैं जिसमें राधा का कहीं ज़िक्र नहीं है। इससे यह बात साबित होती है कि अनिरुद्धाचार्य जी एक नंबर के झूठे व्यक्ति हैं जो अपने अज्ञान को सिद्ध करने के लिए श्लोकों के अर्थ का अनर्थ कर रहे हैं।

इस खंड में, हम संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान और नकली कथावाचकों के अज्ञान के बीच के अंतर को तालिका के माध्यम से समझेंगे।

बहस का विषयकथावाचकों के दावेसंत रामपाल जी महाराज का रुख
शिव के पिता कौन हैं?कोई कहता है कि शिव के पिता मंगल हैं, तो कोई ब्रह्मा जी को शिव का पिता बताता है।ब्रह्मा, विष्णु, शिव का जन्म काल ब्रह्म और प्रकृति उर्फ़ दुर्गा से हुआ। यानि काल ब्रह्म तो इनका पिता है और दुर्गा इनकी माता है। जिसका प्रमाण श्रीमद्देवीभागवत तीसरा स्कन्ध अध्याय 4-5, शिवपुराण रुद्रसंहिता अध्याय 6-7, शिवपुराण विद्येश्वर संहिता अध्याय 9-10 तथा गीता अध्याय 14 श्लोक 3-5 में है। 
क्या विष्णु और शिव जी अविनाशी हैं?शिव और विष्णु अविनाशी हैं। इनका जन्म मृत्यु नहीं होता। श्रीमद्देवीभागवत तीसरा स्कन्ध अध्याय 4-5 में विष्णु जी स्वयं स्वीकार करते हैं कि मैं विष्णु, ब्रह्मा और शंकर जन्म मृत्यु के चक्र में हैं। हम अविनाशी नहीं हैं।
क्या शंकर जी पूर्ण ब्रह्म हैं?शंकर जी पूर्ण ब्रह्म हैं उन्होंने ही यह सृष्टि रची। श्रीमद्देवीभागवत तीसरा स्कन्ध अध्याय 4-5 के अनुसार तो उनका जन्म स्वयं माता दुर्गा से हुआ तो वे सृष्टि रचनहार कैसे हो सकते हैं तथा पूर्ण ब्रह्म कैसे हो सकते हैं। जबकि ऋग्वेद मण्डल 1 सूक्त 1 मंत्र 5, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 94 मंत्र 3, अथर्ववेद कांड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7, सामवेद मंत्र संख्या 920, सामवेद मंत्र संख्या 1094 आदि के मुताबिक, कबीर परमात्मा वास्तविक सृष्टि रचनहार, सर्व शक्तिमान पूर्णब्रह्म हैं।
मूर्ति पूजाकथावाचक मूर्ति पूजा को बढ़ावा देते हैंसंत रामपाल जी का कहना है कि मूर्ति पूजा तथा अन्य किसी कर्मकांड को करने का प्रमाण गीता, वेद आदि में नहीं मिलता इसलिए यह शास्त्र विरुद्ध क्रिया हुई। और गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार, शास्त्र विरुद्ध मनमाने आचरण से कोई लाभ नहीं होता।
क्या ब्रह्मा, विष्णु व शिव एक हैं?कथावाचकों का कहना है कि ब्रह्मा, विष्णु व शिव एक हैं।संत रामपाल जी का कहना है कि मार्कण्डेय पुराण के पेज 131 में लिखा है कि रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शिव जी; ये ही तीन देवता हैं और ये ही तीन गुण हैं। यानि ब्रह्मा, विष्णु व शिव एक नहीं हैं बल्कि अलग-अलग हैं।
त्रिदेव की पूजाकथावाचक ब्रह्मा, विष्णु, शिव तथा इनके ही अवतारों की भक्ति करते तथा करवाते हैं।गीता अध्याय 7 श्लोक 12-15 में ब्रह्मा, विष्णु, शिव की भक्ति करने वालों को राक्षस स्वभाव को धारण किये हुए, मनुष्यों में नीच, दूषित कर्म करने वाले मूर्ख, मुझे भी नहीं भजते। यानि गीता ज्ञानदाता ब्रह्म ने तो स्वयं त्रिदेव को इष्ट रूप में पूजने के लिए मना किया है। 
किस मंत्र से होगी भगवान प्राप्ति?कोई हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे मंत्र से, तो कोई राधे-राधे जाप से, तो कोई राम, ॐ नमः शिवाय आदि से भगवान मिल जाने का दावा कथावाचक करते हैं।संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में पूर्ण परमात्मा को पाने का सांकेतिक मंत्र ॐ-तत्-सत् का जिक्र है। इसके अलावा पूर्ण परमात्मा को पाने का अन्य कोई मंत्र गीता में नहीं दिया गया है।

All Fake Babas Exposed: पाठकों, इस तालिका के माध्यम से आपको जानने को मिला कि आज जितने भी कथावाचक हैं वे बिना किसी शास्त्रीय प्रमाण के जनता के सामने अध्यात्म के नाम पर अज्ञान परोस रहे हैं जबकि संत रामपाल जी महाराज प्रत्येक बात के लिए शास्त्रों का प्रमाण दे रहे हैं। इससे यह बात सिद्ध होती है कि वास्तव में आज किसी के पास सत्य व प्रमाणित आध्यात्मिक ज्ञान है तो वे हैं तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज

आज के आध्यात्मिक परिदृश्य में, जहां नकली कथावाचक (All Fake Babas Exposed) बिना शास्त्रीय आधार के भ्रामक दावों से जनता को गुमराह कर रहे हैं, संत रामपाल जी महाराज एकमात्र तत्वदर्शी संत के रूप में सामने आते हैं, जो वेदों, पुराणों और गीता जैसे शास्त्रों के प्रमाणों के साथ सत्य को उजागर करते हैं। उनके तत्वज्ञान से स्पष्ट होता है कि ब्रह्मा, विष्णु, शिव की उत्पत्ति काल ब्रह्म और दुर्गा से हुई, और कबीर परमात्मा ही सृष्टि रचनहार हैं। मूर्ति पूजा और त्रिदेव की भक्ति को शास्त्र-विरुद्ध बताते हुए, वे भक्तों को सच्चे आध्यात्मिक मार्ग की ओर प्रेरित करते हैं। 
कथावाचकों के परस्पर विरोधी और शास्त्रहीन बयानों ने भक्तों में भ्रम पैदा किया है, लेकिन संत रामपाल जी का शास्त्र-सम्मत ज्ञान इस अंधकार को दूर करता है। पाठकों से अनुरोध है कि वे स्वयं शास्त्रों का अध्ययन करें और संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान को अपनाकर सत्य के मार्ग पर चलें, ताकि जीवन का वास्तविक उद्देश्य प्राप्त हो सके। साथ ही, ऐसे ही तुलनात्मक आध्यात्मिक डिबेट को देखने के लिए Factful Debates YouTube Channel देखिए।

क्या श्रीमद्भागवत में राधा नाम है?

नहीं

क्या शिव जी अजन्मा हैं?

शिव जी का जन्म मृत्यु होता है ये अजन्मा, मृत्युंजय व अविनाशी नहीं हैं बल्कि नाशवान हैं।

क्या ब्रह्मा, विष्णु, शिव एक ही हैं?

ये तीनों देवता अलग-अलग हैं तथा इनका कार्य भी अलग-अलग है।

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