Makar Sankranti 2025

Makar Sankranti 2025: वर्षों बाद रहस्य आया सामने, मकर संक्रांति पर क्या नहीं करना चाहिए?

Makar Sankranti 2025: भारत एक ऐसा देश है, जहां हर धर्म के पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ऐसा ही एक पर्व है मकर संक्रांति, जो न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और प्राकृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है।

Makar Sankranti 2025 का महत्व

इस साल मकर संक्रांति का यह त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन कुछ स्थानों पर लोग सूर्य देव का व्रत रखते हैं। तो कुछ स्थानों पर इस दौरान गंगा स्नान का महत्व है।

मकर संक्रांति का अन्य नाम

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति को भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। जैसे:

  • उत्तर भारत में इसे ‘खिचड़ी पर्व’ कहते हैं। जहाँ गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। 
  • महाराष्ट्र में इसे “तिलगुल घ्या, गोड गोड बोला” के रूप में मनाया जाता है। 
  • गुजरात में इसे ‘उत्तरायण’ कहते हैं, जहां पतंगबाजी मुख्य आकर्षण है।
  • तमिलनाडु में इसे ‘पोंगल’ के रूप में चार दिनों तक मनाया जाता है, जो फसलों का त्योहार है।
  • बंगाल में ‘गंगा सागर मेले’ का विशेष महत्व है, जहां लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए इस दिन स्नान करते हैं।

Makar Sankranti 2025: गीता में व्रत के लिए किया गया मना

मकर संक्रांति पर जो व्यक्ति व्रत रखने हैं वे एक बार पवित्र गीता जी को अवश्य पढ़ें। श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में लिखा है:

न, अति, अश्नतः, तु, योगः, अस्ति, न, च, एकान्तम्, अनश्नतः,

न, च, अति, स्वप्नशीलस्य, जाग्रतः, न, एव, च, अर्जुन।। – श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 श्लोक 16

अर्थात् यह भक्ति न तो अधिक खाने से और न बिल्कुल न खाने यानि व्रत रखने से पूर्ण होती। यानि गीता में व्रत के लिए मना किया गया है। 

साथ ही, व्रतों से होने वाली हानि का एक अन्य प्रमाण हम आपको हाथरस तुलसीदास द्वारा लिखित घट रामायण के पृष्ठ 242 से दिखाना चाहेंगे, जिसमें व्रत के बारे में बताते हुए लोमस ऋषि ने कहा है: 

सहस बरस एकादसि कीन्हा। अंत जनम माखी कौ लीन्हा।। 

ऐसे बर्त कीन्ह बहुतेरा। ता का सुनु बरतंत निबेरा।। 

पिरथम ऐतवार को कीन्हा। ता से जनम चील्ह कौ लीन्हा।।

मंगल बहु बिधि बरत रहाई। ता से जनम सुवर कौ पाई।। 

अरु पुनि बरत तीज को कीन्हा। कूकर जनम ताहि से लीन्हा।। 

अरु परदोस नेम से कीन्हा। खर कौ जनम ताहि से लीन्हा।। 

बितीपात बिधि से बिधि कीन्हा। जनम जाइ बंदर कौ लीन्हा।।

नौमी बरत अष्टमी कीन्हा। ता से जनम मूस कौ लीन्हा।। 

अरु अनंत चौदस पुनि कीन्हा। ता से जनम ऊँट कौ लीन्हा।। 

और चतुरथी बरत बखाना। ता से जन्म भैंस का जाना।। 

और बरत करै झार बनाई। पुनि मुक्ती हम ने नहिं पाई।।

वहीं सूक्ष्मवेद में कहा गया है:

गरीब, प्रथम अन्न जल संयम राखै, योग युक्त सब सतगुरू भाखै।

अर्थात् अन्न तथा जल को सीमित खावै, न अधिक और न ही कम, यह शास्त्र अनुकूल भक्ति साधना है।

Makar Sankranti 2025: गंगा स्नान से नहीं होता लाभ

जो व्यक्ति मकर संक्रांति पर गंगा नदी में नहाने से मोक्ष मानते हैं उनके विषय में कबीर परमेश्वर ने कहा है:

कबीर, गंगा कांठै घर करें, पीवै निर्मल नीर।

मुक्ति नहीं सत्यनाम बिन, कह सच्च कबीर।।

कबीर, तीर्थ कर-कर जग मुआ, ऊडै़ पानी न्हाय।

सत्यनाम जपा नहीं, काल घसीटें जाय।।

अर्थात् मोक्षदायिनी मानकर चाहे गंगा नदी के किनारे निवास करो, गंगा का निर्मल पानी पीते रहो, परंतु भक्ति के शास्त्र अनुकूल नाम बिना मोक्ष संभव नहीं है। कबीर परमेश्वर जी आगे बताते हैं कि भ्रमित ज्ञान के आधार से संसार के व्यक्ति तीर्थों पर जाते हैं। आजीवन यह साधना करते हैं। जब मृत्यु हो जाती है तो उनको राहत उस साधना से नहीं मिलती। काल के दूत उनको बलपूर्वक घसीटकर ले जाते हैं, दंडित करते हैं।

Makar Sankranti 2025: शास्त्र विरुद्ध क्रिया व्यर्थ

वहीं शास्त्र विरुद्ध क्रियाओं को करने वालों के बारे में श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में कहा गया है:

य: शास्त्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारतः।

न स सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम्।। – श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 16 श्लोक 23

अर्थात्, जो व्यक्ति शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है, वह न तो सुख प्राप्त करता है, न उसका कोई कार्य सिद्ध होता है, और न ही परमगति (मोक्ष) को प्राप्त होता है।

यह भी पढ़ें: किसके मंत्र से होगी परमात्मा प्राप्ति?

तस्माच्छास्त्रं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ।

ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमिहार्हसि।। – श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 16 श्लोक 24

अर्थात् इससे तेरे लिये कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण हैं। अतः हमें शास्त्रों द्वारा निर्धारित कर्म ही करने चाहिए।

निष्कर्ष

अब आप स्वयं निर्णय लें कि शास्त्रविरुद्ध क्रियाएं करनी चाहिए या शास्त्रानुकूल। हमारे सद्ग्रंथों में केवल शास्त्रानुकूल साधना का उल्लेख है। चूँकि शास्त्रों में मकर संक्रांति, व्रत, गंगा स्नान का वर्णन नहीं है, इसलिए इसे मनाने का कोई औचित्य नहीं रह जाता।

अधिक जानकारी के लिए आप Factful Debates यूट्यूब चैनल पर विजिट करें और मनमानी क्रियाओं और नकली संतों से बचें।

Makar Sankranti 2025: FAQs

मकर संक्रांति कब है?

2025 में यह 14 जनवरी को मनाई जाएगी। 

मकर संक्रांति पर सूर्य देव का व्रत रखना चाहिए या नहीं?

नहीं, रखना चाहिए क्योंकि गीता आदि शास्त्रों में व्रत के लिए मना किया गया है। 

मकर संक्रांति पर गंगा स्नान से क्या लाभ होता है?

गंगा स्नान से कोई लाभ नहीं होता। 

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *